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shitkaline satra

क्या होता है संसद का शीतकालीन सत्र

संसद सत्र के प्रकार: भारत की संसद हर साल तीन सत्र आयोजित करती है

  • बजट सत्र (फरवरी से मई)
  • मानसून सत्र (जुलाई से अगस्त)
  • शीतकालीन सत्र (नवंबर से दिसंबर)

शीतकालीन सत्र इनमें सबसे छोटा होता है लेकिन महत्वपूर्ण विधेयकों और मुद्दों पर बहस के लिए इसे अहम माना जाता है।

 शीतकालीन सत्र का आयोजन

  • समय अवधि: यह सत्र आम तौर पर 15-20 दिन का होता है।
  • संवैधानिक प्रावधान: संसद का एक सत्र समाप्त होने और अगले सत्र की शुरुआत के बीच अधिकतम 6 महीने का अंतराल नहीं हो सकता। यह प्रावधान शीतकालीन सत्र को आवश्यक बनाता है।
  • कार्यवाही: सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों की बैठकें होती हैं।

 सत्र का महत्व

  1. विधायी कार्य:
    • नए विधेयकों को पेश करना, चर्चा करना और पारित करना।
    • बजट से जुड़े संशोधन या पूरक मांगों का अनुमोदन।
  2. सरकार की जवाबदेही:
    • विपक्ष को सरकार की नीतियों और कार्यों पर सवाल उठाने का अवसर मिलता है।
    • जनहित के मुद्दों पर बहस होती है।
  3. लोक महत्व के मुद्दे:
    • सत्र में सामयिक और ज्वलंत मुद्दों पर बहस होती है।
    • विशेष प्रस्तावों और अधिसूचनाओं पर विचार किया जाता है।
  4. नए कानून:
    • महत्वपूर्ण विधेयकों को सत्र के दौरान पारित किया जाता है, जैसे कर सुधार, सामाजिक सुधार, या सुरक्षा से जुड़े कानून।

 प्रमुख गतिविधियां

  1. प्रश्नकाल: सांसद सरकार से सवाल पूछते हैं, और मंत्री उन्हें जवाब देते हैं। यह सरकार की पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।
  2. ध्यानाकर्षण प्रस्ताव: किसी महत्वपूर्ण सार्वजनिक मुद्दे को सदन के ध्यान में लाने के लिए।
  3. संसदीय बहस: विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की जाती है।
  4. विधेयकों पर मतदान: कानून पारित करने के लिए मतदान किया जाता है।

 चुनौतियां और विवाद

  • हंगामा और बाधाएं: कई बार विपक्षी दल सत्र में हंगामा करते हैं, जिससे कामकाज प्रभावित होता है।
  • कार्यवाही का स्थगन: समय की कमी और राजनीतिक गतिरोध के कारण विधायी कामकाज अधूरा रह जाता है।
  • अल्प अवधि: यह सत्र सबसे छोटा होता है, जिससे सभी मुद्दों पर चर्चा करने का पर्याप्त समय नहीं मिलता।

सत्र के दौरान नियम

  • संसद की कार्यवाही भारत के संविधान और नियमों के तहत संचालित होती है।
  • अध्यक्ष (लोकसभा) और सभापति (राज्यसभा) कार्यवाही को नियंत्रित करते हैं।

संसद का शीतकालीन सत्र भारत के लोकतंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सरकार और विपक्ष दोनों को अपनी बात रखने का अवसर प्रदान करता है। विधायी प्रक्रिया, जनहित के मुद्दों पर चर्चा, और सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए यह सत्र बेहद आवश्यक है।