राजस्थान में वोटिंग परसेंटेज को देखने के बाद इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि क्या बसपा, सपा और आप जैसी अन्य पार्टियां और बागी नेता किंगमेकर बन सकते हैं?
राजस्थान का गणित समझने से पहले आईए जानते हैं विधानसभा चुनाव की कुछ बारीकियां, राजस्थान में विधानसभा की 200 सीट है। यहां कांग्रेस की सरकार है और मुख्यमंत्री है अशोक गहलोत। राजस्थान में बहुमत के लिए चाहिए 101 सीटें..राजस्थान में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच है। दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टी को जनादेश मिलने की उम्मीद जताई है ।
सियासी जानकारों का कहना है कि राजस्थान में कई बार खंडित जनादेश मिला, लेकिन चुनाव में जिस भी पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें मिलीं, वह बहुमत जुटाने में कामयाब रही। दूसरी तरफ यहां कभी आंकड़ों के खेल में सरकार नहीं गिरी। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार,राजस्थान में कांग्रेस और बीजेपी के अलावा कभी किसी का शासन नहीं रहा। जनता पार्टी सत्ता में रही, लेकिन बीजेपी उसका हिस्सा थी. बीच-बीच में दूसरी सियासी पार्टियों ने पांव जमाने की कोशिश की, लेकिन कभी कामयाबी नहीं मिली.
राजस्थान में इस बार मतदाताओं ने दिल खोलकर वोट किए हैं,यहाँ 74.13 फीसदी मतदान हुआ। थार की राजनीति पर करीब से नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषक मतदान प्रतिशत से हैरान हैं और इसे “उम्मीद से कहीं अधिक” बता रहे हैं। राजस्थान परंपरागत रूप से “दो दलीय राज्य” के रूप में जाना और देखा जाता है, पिछले कुछ दशकों से यहां की सत्ता मुख्य तौर पर दो दलों- कांग्रेस और बीजेपी के बीच स्थानांतरित होती रही है।
कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षक मत प्रतिशत को देखते हुए इसे बीजेपी के लिए एक उम्मीद करार दे रहे हैं।वहीं इस बात पर भी चर्चा हो रही है कि क्या बागी और बसपा, सपा और आप जैसी अन्य पार्टियां नतीजों में बदलाव ला सकती हैं? हालांकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की टीम के साथ-साथ पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का खेमा भी नतीजे का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।
वे तलाश कर रहे हैं कि क्या उनकी संबंधित पार्टियां 85 से अधिक सीटें हासिल कर लेंगी, ताकि वे निर्दलीय, आरएलपी, एसपी और अन्य पार्टियों के साथ मिलकर बहुमत के लिए जरूरी 100 सीटों का जादुई आंकड़ा छू सकें।
चर्चा इस बात की भी है कि आखिर मुख्यमंत्री कौन बनेगा? विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भाजपा को 100 के आसपास सीटें मिलती हैं तो गेंद पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के पाले में जा सकती है और उन्हें नेतृत्व करने का मौका दिया जा सकता है। पार्टी को मजबूत करने के लिए निर्दलीय समेत अन्य विधायकों को भी एकजुट किया जा सकता है।
वहीं अगर कांग्रेस जीतती है तो मुख्यमंत्री किसे बनाएगी उस पर खींचातानी सामने आ सकती है । अशोक गहलोत पहले ही यहां अपना दबदबा बनाए हुए हैं वहीं सचिन पायलट भी राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने की इच्छा रखते हैं। ऐसे में राजस्थान का रण बाकी काफी दिलचस्प लग रहा है।

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