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Luna Recycle Challenge

अब स्वच्छ भारत की तरह चांद पर भी होगी सफाई, क्या है नासा का ‘लूना रीसायकल चैलेंज’!

जब आप अपने घर को साफ-सुथरा रखते हैं, तो क्या कभी सोचा है कि अंतरिक्ष में भी सफाई की जरूरत पड़ सकती है? चंद्रमा पर बढ़ते मिशनों और उनके पीछे छोड़े गए मलबे की समस्या को हल करने के लिए, नासा ने एक अनोखी पहल की है—‘लूना रीसायकल चैलेंज’। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा पर साफ-सफाई बनाए रखना और अंतरिक्ष कचरे को रिसाइकल करना है।

1961 में रूस के यूरी गगारिन ने अंतरिक्ष की यात्रा की थी। छह दशकों में अंतरिक्ष की दुनिया इतनी बदल गई कि वहां अब ‘ट्रैफिक जाम’ और कचरे के ढेर लगने लगे हैं। हर बड़े देश का अपना अंतरिक्ष स्टेशन है, और वैज्ञानिकों का आना-जाना लगा रहता है। इससे जुड़े कचरे का समाधान खोजने के लिए नासा ने इस चैलेंज की शुरुआत की।

क्या है ‘लूना रीसायकल चैलेंज’ 

नासा का लक्ष्य चंद्रमा पर भविष्य में मानव बस्तियां बसाना है। इसके लिए जरूरी है कि वहां जमा होने वाले कचरे को नष्ट या पुनर्चक्रित किया जाए। इस चुनौती में दुनिया भर के वैज्ञानिक, इंजीनियर, और छात्र हिस्सा ले सकते हैं। सही समाधान प्रस्तुत करने वाले विजेताओं को 25 करोड़ रुपये का इनाम मिलेगा। चयनित तकनीक को सितंबर 2026 में चंद्रमा पर जाने वाले मिशन में लागू किया जाएगा।

चंद्रमा पर कचरा क्यों समस्या बन सकता है?

चंद्रमा पर जब वैज्ञानिक लंबे समय तक रहेंगे, तो खाने-पीने के पैकेट, बेकार कपड़े, और प्रयोगशाला में उपयोग किए गए उपकरण वहां जमा हो जाएंगे। अंतरिक्ष कचरा, जिसे वापस लाना मुश्किल है, चंद्रमा की सतह को दूषित कर सकता है।

इसलिए, नासा ऐसी तकनीक चाहता है:

  1. जो बिजली का कम उपयोग करे।
  2. जिसे अंतरिक्ष यात्री आसानी से चला सकें।
  3. जो कचरे को रीसायकल कर उपयोगी सामग्री में बदल दे।

अंतरिक्ष कचरे की समस्या

वर्तमान में, अंतरिक्ष में लगभग 30,000 बड़े टुकड़े और 10 करोड़ छोटे कण घूम रहे हैं। ये मलबा तेज गति (28,000 किमी/घंटा) से यात्रा करता है और उपग्रहों, मंगल अभियानों, और दूरबीनों के लिए खतरा बन सकता है।

  • स्पुतनिक-1 अंतरिक्ष का सबसे पुराना मलबा है।
  • हर साल 200-400 टुकड़े पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं, लेकिन अधिकतर जलकर खत्म हो जाते हैं।
  • 2009 में दो उपग्रहों की टक्कर से 2,000 टुकड़े बने।
  • यहां तक कि एलन मस्क की टेस्ला कार भी अंतरिक्ष का कचरा बन चुकी है।

भारत का योगदान

भारत का इसरो अपने उपग्रहों को ऐसे डिजाइन करता है कि मिशन खत्म होने के बाद वे ‘स्वयं डी-ऑर्बिट’ हो जाएं और मलबा न बनाएं।

अंतरिक्ष मलबे से बचने की जरूरत

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) को अक्सर अपना स्थान बदलना पड़ता है जिससे वह मलबे से न टकरा पाए। छोटे से छोटा टुकड़ा भी बड़े नुकसान का कारण बन सकता है। हॉलीवुड फिल्म ‘ग्रेविटी’ इस समस्या की एक झलक देती है।

चंद्रमा का भविष्य

सितंबर 2026 में नासा अपने मिशन में पहली बार एक महिला को चंद्रमा पर भेजेगा। यदि यह मिशन सफल रहा, तो नासा चंद्रमा पर मानव बस्ती बसाने की योजना पर काम शुरू करेगा। लेकिन इस सपने को साकार करने के लिए यह जरूरी है कि अंतरिक्ष में साफ-सफाई बनाए रखी जाए।

तो दोस्तों, क्या आपके पास कोई अनोखा विचार है जो चंद्रमा को साफ-सुथरा रखने में मदद कर सके? हो सकता है अगला वैज्ञानिक आप ही बनें और 25 करोड़ रुपये का इनाम जीतें! अंतरिक्ष की सफर का हिस्सा बनने का यह मौका न गवाएं।