डॉक्टर केरी मैगो-राष्टीय वक्ता,सलाहकार बोर्ड सदस्य उनका मानना है कि ऑटिज्म उन्हे परिभाषित नही करता, वे ऑटिज्म को परिभाषित करते है।
ऑटिज्म को मेडिकल भाषा मे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसाडॅर कहते है। मस्तिष्क के विकास के समय होने वाला विकार है,जिसमे व्यक्ति सामाजिक व्यवहार और किसी से संपर्क करने मे पीछे रह जाता है।
ऑटिज्म के लक्षण १२-१८ महिनों कि आयु में दिखाई देते हैं।अभी तक इसके सही कारणो का पता नहीं चल सका हैं। यह डिसाडॅर कुछ वंशानुगत और पर्यावरणीय कारणो से होता हैं, जो गर्भ मे पल रहे बच्चे के दिमाग के विकास को बाधित करते हैं।
ऑटिज्म जीवन भर रहनेवाली एक समस्या हैं।
ऑटिज्म तीन प्रकार के होते है-
पहला ऑटिस्टिक डिसाडॅर क्लासिक ऑटिज्म, जो इस डिसाडॅर से प्रभावित होते है उनकी असामान्य चीजों में रुचि दिखाई देती है, बोलते समय अटकना और बौद्धिक श्रमता मे कमी भी देखी जाती हैं।
दूसरा है अस्पेगे॔र सिंड्रोम, जो इस डिसाडॅर से प्रभावित होते है उनका मानसिक या सामाजिक व्यवहार से जुडी कोई समस्या नहीं होती।
तीसरा है पवेंसिव डवलपमेंट डिसाडॅर।
ऑटिज्म जीवन भर रहने वाली एक समस्या हैं, इसलिए हमें ऑटिज्म वाले लोगो को सपोर्ट करना चाहिए और सहयोग देना चाहिए।
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