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प्रधानमंत्री ने छोटी-छोटी डिबिया में अमेरिकी राष्ट्रपति को क्या दिया!!

22-06-2023, Thursday

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने अमेरिका विजिट के दौरान वहा के राष्ट्रपति जो बाइडेन को और फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन को कुछ गिफ्ट्स दिए। जो बेहद खास है। आइए आपको बताते है इन गिफ्ट्स की खासियत।

पहले आपको बता दे पीएम मोदी ने फर्स्ट लेडी को लैब में बना 7.5 कैरेट का इको फ्रेंडली ग्रीन डायमंड गिफ्ट किया। साथ ही जो बाइडेन को “10 प्रिंसिपल्स ऑफ उपनिषद” का फर्स्ट एडिशन गिफ्ट किया। साथ ही मैसूर के चंदन से बना एक खास बॉक्स दिया जिसे जयपुर के कारीगरों ने बनाया है। इस बॉक्स के अंदर भगवान गणेश की एक मूर्ति और एक दिए के साथ 10 तोहफे मौजूद रहे। इस बॉक्स के अंदर जो गिफ्ट्स दिए वो बेहद खास है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन को दस दानम् की भेंट दी है। दस दानम् के तहत एक हजार फुल मून देखने वाले व्यक्ति को दस चीजें गिफ्ट की जाती हैं। कैलेंडर कैलकुलेशन के मुताबिक किसी भी व्यक्ति की उम्र 80 साल 8 महीने होने पर वह एक हजार पूर्णिमा के चांद (फुल मून) देख चुका होता है। बाइडेन लगभग इसी उम्र के हैं। इसीलिए उन्हें ये तोहफा दिया गया।

सब से पहले आपको बता दे 10 प्रिंसिपल्स ऑफ उपनिषद के बारे में ये हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रंथ है। चार वेद में भी एक के चार भाग किए गए है उन्हे मंत्र संहिता, ब्राह्मण, आरण्यक और उपनिषद कहते है।

इन में परमेश्वर, परमात्मा ब्रह्मा,और आत्मा के स्वभाव और संबंध का बहुत ही फिलोसॉफिकल और ज्ञानपूर्वक वर्णन दिया गया है। उपनिषद शब्द का मतलब है पास बैठना यानी जब शिष्य गुरु के पास बैठकर ज्ञान प्राप्त करे। इसे इस तरह से लिखा गया है जहा शिष्य सवाल पूछता है और गुरु सवाल का जवाब देते है। बता दे उपनिषद संस्कृत में लिखा गया था जिसे बाद में दारा शिकोह ने फारसी में ट्रांसलेट भी करवाया था।

वही बात करे लैब में बनी ग्रीन डायमंड रिंग की खासियत की तो ये हीरा इको फ्रेंडली है क्योंकि इसके मेकिंग में सोलर और विंड पावर जैसे रिसोर्सेज का उपयोग किया गया था। हरे हीरे को कटिंग एज टेक्नीक का उपयोग करके सटीकता और देखभाल के साथ तराशा जाता है। यह प्रति कैरेट केवल 0.028 ग्राम कार्बन उत्सर्जित करता है साथ ही जेमोलॉजिकल लैब, और आईजीआई (इंटरनेशनल जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट) द्वारा सर्टिफाइड है।

वही मैसूर के चंदन के बॉक्स की बात करे तो प्स्वामी विवेकानन्द के अनुसार, मैसूर की पहचान चंदन से होती थी, जो पूर्व के धार्मिक, सामाजिक और औपचारिक जीवन का अभिन्न अंग था। विवेकानन्द ने कहा, “यह कहा जा सकता है कि इस लकड़ी की लगातार बनी रहने वाली सुगंध ने वास्तव में दुनिया पर विजय प्राप्त कर ली है”।

कर्नाटक राज्य में पौधों की प्रजातियों की समृद्ध विविधता है और आदर्श मौसम स्थितियों के कारण कर्नाटक के जंगलों में चंदन प्रचुर मात्रा में उगाया जाता है। इत्र, जटिल नक्काशी वाली वस्तुएं, साबुन और औषधियाँ इस पेड़ से बने कुछ उत्पाद हैं।

गणेश जी को समृद्धि और हैप्पीनेस का प्रतीक माना जाता है। गणेशा की मूर्ति गिफ्ट में किसीको देने का मतलब उसकी खुशकिमती की कामना करना होता है।

इसी तरह बॉक्स में पंजाब का घी, उत्तराखंड का चावल, तमिल नाडु का तिल, कर्नाटक के मैसूर के चंदन का टुकड़ा, पाक्षिक बंगाल के कुशल कारीगरों का बनाया हुआ चांदी का नारियल और गुजरात का नमक भी शामिल था।