किसान आंदोलन की शुरुआत 2021 में हुई थी। हर राज्य के किसान इस आंदोलन से जुड़े थे। और इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। एक बार फिर किसान आंदोलन की शुरुआत हुई है। हालाँकि इस बार इसका नाम ‘चलो दिल्ली’ है, लेकिन इसे किसान आंदोलन 2.0 के नाम से भी जाना जा रहा है।
पंजाब-हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों के सैंकड़ों किसान अपनी विभिन मांगों के लिए आज दिल्ली कूच कर रहे हैं। इस आंदोलन को नज़र में रखकर, दिल्ली में धारा 144 लागू कर दी गई है। इस बार का यह किसान आंदोलन संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले नहीं, बल्कि पंजाब-हरियाणा और कई राज्यों के अलग-अलग किसान संगठन मिलकर आयोजित कर रहे हैं।
सिर्फ MSP ही नहीं, अपनी और भी मांगें लेकर किसान एक बार फिर सड़क पर उतर आये हैं। उनकी मांगें हैं कि:
- सभी किसान नेता न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं।
- किसानों का सरकारी और गैर सरकारी क़र्ज़ माफ़ करें।
- कीटनाशक, बीज और उर्वरक अधिनियम में संशोधन करके कपास सहित सभी फसलों के बीजों की गुणवत्ता में सुधार करें।
- कृषि वस्तुओं, दूध की वस्तुओं, फलों, सब्जियों और मांस पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाएं।
- पिछली बार केंद्र सरकार द्वारा दिए गए मांगों को पूर्ण करने के भरोसे को तुरंत पूरा करें।
- पिछले आंदोलन में दर्ज किये गए मुक़दमे ख़ारिज कर दें, मृत किसानों के घरवालों को मुआवज़ा और एक सदस्य को नौकरी दें, और तो और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को केंद्र सरकार न्याय दे।
- वृद्ध किसानों को पेंशन दी जाए।
- स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को लागू करें।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार के लिए सरकार की ओर से स्वयं बीमा प्रीमियम का भुगतान करना, सभी फसलों को योजना का हिस्सा बनाना और नुकसान का आकलन करना।
- देश भर में भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को फिर से लागू करें, किसानों से लिखित सहमति सुनिश्चित और कलेक्टर दर से चार गुना मुआवजा।
- प्रति वर्ष 200 दिन का रोजगार और मनरेगा के तहत 700 रुपये की दैनिक मजदूरी प्रदान करना।
इन किसानों को राजधानी में घुसने से रोकने की पूरी तैयारी की गई है। दिल्ली हरियाणा के 15 शहरों में धारा 144 लगायी गयी है। और कुछ जगहों पर इंटरनेट सर्विस भी बंद कर दी गई है।
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