6 April 2022
गुजरात के नवसारी स्थित अदालत ने एक अनूठे मामले में छह वर्ष पहले गिरफ्तार दो लोगों को बरी कर दिया है। उन पर किसी व्यक्ति की हत्या का आरोप था, लेकिन वास्तव में वह शख्स जीवित निकला। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सारंगा व्यास ने 30 मार्च को जारी अपने आदेश में जांच अधिकारी और नवसारी स्थित तत्कालीन निरीक्षक प्रदीप सिंह गोहिल को लापरवाही से जांच करने के लिए दोनों लोगों को 50-50 हजार रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी के कारण दोनों को मानसिक और शारीरिक पीड़ा से गुजरना पड़ा और उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची।
पुलिस के अनुसार, कथित हत्या के मामले में नवसारी ग्रामीण थाने ने एफआईआर दर्ज की गई थी। उस आधार पर आरोपी मदन पिपलादि और सुरेश बाटेला को 6 जुलाई, 2016 को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में पुलिस को मिली लाश को उसके परिजनों ने गलती से गयारी के तौर पर पहचान की थी और उसे मृतक मान लिया गया था। आरोपियों को रिहाई से पहले तीन माह तक जेल में रहना पड़ा था। अदालत ने दोनों को पांच दिन पहले बरी कर दिया था।
दरअसल गयारी कुछ दिनों से गायब था। गलत पहचान के बाद पुलिस द्वारा किसी और का शव सौंपे जाने के बाद परिजनों ने अपने गांव मंदसौर ले जाकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया, लेकिन कुछ घंटे बाद ही गयारी के भाई को पता चला कि वह जीवित है और किसी रिश्तेदार के पास रह रहा है। उसने तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दी। इसके बावजूद पुलि ने दोनों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करते हुए कहा कि उन्हीं दोनों ने गयारी की हत्या की है, क्योंकि गयारी एक रात चोरी से उनके घर में घुसा था। गयारी ने बाद में हालांकि इस बात को माना कि वह तीनों एक ही फैक्टरी में काम करते थे और एक रात खाने की तलाश में वह उनके घर में घुसा था। उसके बाद डर के कारण गयारी नवसारी से भाग गया और किसी रिश्तेदार के पास रहने लगा।
More Stories
Apple और Google को टक्कर देने वाला है ये नया फोन, जानिए इसकी डिटेल्स!
क्या गुजरात 2036 ओलिंपिक की मेज़बानी हासिल कर सकता है?अहमदाबाद की दावेदारी पर सबकी नज़रें
छठ पूजा का दूसरा दिन: जानें खरना के दिन की विशेषताएँ, विधि और महत्व