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Tuesday, May 6   6:13:38
vadodara rain

वडोदरा के पूर्वी इलाके में जलभराव: प्रशासन की नाकामी या प्राकृतिक आपदा?

वडोदरा शहर में एक बार फिर मूसलाधार बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। बीते कल हुई तेज बारिश के बाद शहर के पूर्वी हिस्से की कई सोसाइटियों में भारी जलभराव हो गया, जो अब तक कई घंटों बाद भी खाली नहीं हो पाया है। वाघोडिया रोड स्थित वैकुंठ रेजिडेंसी का हाल और भी बुरा है, जहां हर बार थोड़ी बारिश के बाद भी कई फीट पानी भर जाता है, जिससे स्थानीय निवासी किसी टापू जैसी स्थिति में जीने को मजबूर हो जाते हैं।

इस सीजन में यह तीसरी बार है जब पूर्वी वडोदरा के इलाके पानी में डूबे हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर इसकी जिम्मेदारी किसकी है? बारिश के पानी की निकासी के लिए हर साल लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन यह खर्च बेकार साबित हो रहा है। हाईवे से सटे बरसाती कांस की सफाई के लिए पहले से ही योजनाएं बनाई गई थीं, मगर हर बार हाईवे का पानी 35 से अधिक सोसाइटियों में घुस आता है।

स्थानीय निवासी और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि वडोदरा नगर निगम (VMC) के म्यूनिसिपल कमिश्नर उनकी बातों को नजरअंदाज कर रहे हैं। भाजपा नगर सेवक आशीष जोशी और पारुल पटेल ने रात के समय पोकलैंड मशीन की मदद से कांस की सफाई कराई, जिससे जलभराव कम हो सके। लेकिन, सवाल यह है कि अगर समय रहते यह सफाई की जाती तो क्या लोगों को यह परेशानी झेलनी पड़ती?

नगर सेवक आशीष जोशी का आरोप है कि VMC के म्यूनिसिपल कमिश्नर को जनप्रतिनिधियों के साथ काम करने में असहजता होती है, जिसके कारण कई बार जरूरी कदम उठाने में देरी होती है। ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकारियों का अहंकार जनता की समस्याओं से बड़ा हो गया है।

तीसरी बार हो रहे इस जलभराव से स्पष्ट है कि प्रशासनिक तैयारियों में कहीं न कहीं भारी कमी है। हर बार जब बारिश होती है, तो कुछ इलाकों में पानी घंटों या दिनों तक भरा रहता है। इससे न केवल स्थानीय निवासियों का जीवन प्रभावित होता है, बल्कि इससे स्वास्थ्य और सुरक्षा का खतरा भी बढ़ जाता है।

यह समय है जब प्रशासन को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और ठोस कदम उठाने चाहिए। केवल बरसात के बाद सफाई कार्य शुरू करना समाधान नहीं है। जल निकासी व्यवस्था को मजबूत करना और भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचने के लिए पहले से योजना बनाना आवश्यक है।

क्या यह बार-बार का जलभराव प्रशासन की नाकामी है या फिर यह प्रकृति की मार? जवाब प्रशासन के प्रयासों में छिपा है। जब तक समस्या की जड़ पर ध्यान नहीं दिया जाएगा, वडोदरा के निवासियों को हर बारिश में पानी से जूझना पड़ेगा।