CATEGORIES

January 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  
Tuesday, January 7   2:54:13
water crisis

आगामी गृहयुद्ध का कारण होगा, पानी!?

आज जिस प्रकार की देश दुनिया की स्थिति है,भविष्य में कुछ भी हो सकता है। जैसे सभी राष्ट्र किसी धधकते लावा पर बैठे है ,और मरने मारने उतारू है। ऐसे में तीसरा विश्वयुद्ध यदि हुआ तो स्थिति कैसी होगी,यह सोच से परे है।

रशिया,यूक्रेन,ईरान ,इराक,अफगानिस्तान,जैसे देश युद्ध की कगार पर है,तो दूसरी ओर प्राकृतिक संसाधनों का बेतहाशा दुरुपयोग प्रकृति का संतुलन बिगाड़ रहा है।जिस तरह से ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर पिघल रहे है,मीठे पानी के स्रोत घटते जा रहे है।आज पानी की किल्लत से आम आदमी परेशान है,और अधिकतर जगहों पर पर पूर्णतया टैंकर माफिया पर निर्भर है।यह स्थिति देखते हुए एक रिपोर्ट के अनुसार आगामी 20 वर्षों में पानी के लिए गृह युद्ध हो सकता है।पैसा होगा तो पानी मिलेगा।

हाल ही के आई फिल्म “कल्कि” में भी दिखाया गया है कि पानी कितना कीमती होगा!इस फिल्म का एक दृश्य है जिसमे प्यासे को कोई पानी नही देता।

यदि भारत की बात करें तो भारत में टैंकर माफिया का जोर बढ़ रहा है, जिसमें सरकारी अधिकारी भी शामिल है। यह टैंकर वाले पानी के पाइप तोड़कर पानी भरते हैं। प्रतिवर्ष 10,000 करोड़ के पानी की चोरी की जा रही है ,और इस तरह से कृत्रिम पानी की कमी की जा रही है। इन्हें पता चल चुका है, कि कुएं में पानी नहीं पर नोट निकालते हैं। दिल्ली, मुंबई,जैसे शहरों में पाइपलाइन में रात को ड्रिल से हॉल करके टैंकर भरे जाते हैं, और फिर इन होल्स को बंद कर दिया जाता है।

“जल है तो कल” यह पानी सप्लाई का एक व्यापार महानगरों से शुरू हो गया है। यह व्यापार जनसंख्या घनत्व के कारण बढ़ा है।दिल्ली जैसे शहरों में सरकार के वॉटर डिपार्टमेंट द्वारा मुफ्त टैंकर पहुंचाने की व्यवस्था है, पर ड्राइवर्स को 1000/से 1500/ रुपए नागरिकों को देने पड़ते हैं. जगह-जगह पानी कनेक्शन के लिए वाल्व सिस्टम होता है, जिसे खोलने पर घरों में पानी आता है, लेकिन यह वाल्व भी पूरे नहीं खोले जाते। जिसके कारण पानी का फोर्स नहीं होता, और बहुत ही कम पानी आता है। इसलिए टैंकर मंगवाना मजबूरी हो जाता है। प्रतिवर्ष 80 लाख करोड़ का यह वॉटर व्यापार है।

एक तरफ घट रहा भूगर्भ जल ,दूसरी ओर बढ़ती जनसंख्या,संसाधनों की कमी,जहा आम इंसान कोने और खर्च के दो किनारे जोड़ने नही देता ,तो दूसरी तरफ जल व्यापार।यह विकट स्थिति पानी के लिए युद्ध को न्योता दे सकती है।

खैर..ये तो वक्त बताएगा, कि दुनिया के देश परमाणु शस्त्रों का जखीरा लिए भी तो बैठे है।