धमकियो का सिलसिला और सुरक्षा का संकट
रात 1:37 से लेकर 2:36 बजे के बीच आशुतोष पांडे के वॉट्सऐप पर पाकिस्तान के नंबर से कुल 6 वॉइस मैसेज आए। इन मैसेजेस में कहा गया, “तेरे सुप्रीम कोर्ट को भी उड़ा देंगे, 19 नवंबर को तुझे बताएंगे।” धमकी में यह भी उल्लेख किया गया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट और मथुरा समेत हिंदुस्तान के सभी बड़े मंदिरों को उड़ा दिया जाएगा। इसके अलावा, एक और धमकी में यह भी लिखा गया था कि पहले प्रयागराज रेलवे स्टेशन को निशाना बनाया जाएगा, फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट को बम से उड़ाया जाएगा।
आशुतोष पांडे, जो कि इस केस में श्री कृष्ण जन्मभूमि के पक्षकार हैं, यह धमकियां पहले भी झेल चुके हैं। एक हफ्ते पहले ही, 13 नवंबर को, उन्हें पाकिस्तान के एक और नंबर से 22 धमकी भरी वॉइस रिकॉर्डिंग भेजी गई थीं, जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। इन धमकियों के बाद पांडे ने संबंधित पुलिस थानों में रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन एक बार फिर उन्हें पाकिस्तान से धमकियां मिलना दर्शाता है कि यह मुद्दा अब अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है।
क्या है मथुरा ईदगाह केस?
मथुरा का श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामला भारतीय न्यायपालिका में एक संवेदनशील और ऐतिहासिक मुकदमा है। इस मामले में श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट के प्रमुख आशुतोष पांडे और उनके समर्थक इस बात की मांग कर रहे हैं कि शाही ईदगाह मस्जिद को हटाकर इस स्थान पर श्री कृष्ण के जन्मस्थान का पुनर्निर्माण किया जाए। हिंदू पक्ष का कहना है कि शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब के आदेश पर हुआ था, जो कृष्ण जन्मस्थान पर बनी एक प्राचीन मंदिर को नष्ट कर बनाई गई थी।
सुरक्षा के प्रति गंभीर चिंता
यह धमकी कोई मामूली घटना नहीं है। ऐसी धमकियों का उद्देश्य केवल एक व्यक्ति को डराना नहीं है, बल्कि देश की न्यायिक प्रणाली को चुनौती देना और आम लोगों के विश्वास को तोड़ना है। पाकिस्तान से आई धमकियों का सीधा संबंध उस संवेदनशील मामले से जुड़ा है, जिसे लेकर भारत में धार्मिक भावनाओं में उबाल है। इन धमकियों से यह भी स्पष्ट होता है कि कुछ तत्व भारतीय न्यायपालिका और लोकतंत्र को अस्थिर करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
यह घटना भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ा अलर्ट है। न केवल आशुतोष पांडे की सुरक्षा, बल्कि उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट के भवनों की सुरक्षा को भी मजबूत करने की आवश्यकता महसूस हो रही है। यह भी आवश्यक है कि भारत सरकार पाकिस्तान से आने वाली इस तरह की धमकियों पर कड़ी प्रतिक्रिया दे, ताकि इन धमकियों को गंभीरता से लिया जाए और तात्कालिक कार्रवाई की जाए।
राजनीतिक और सांस्कृतिक संदर्भ
यह धमकी एक और संकेत है कि भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक विवाद अब केवल न्यायिक मुद्दे नहीं रह गए हैं, बल्कि ये राजनीतिक और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों से भी जुड़ गए हैं। मथुरा का यह मामला न केवल हिंदू-मुस्लिम संबंधों को प्रभावित करता है, बल्कि यह इस्लामिक देशों के बीच राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और उनके भारत विरोधी रुख को भी उजागर करता है। पाकिस्तान के कुछ तत्वों द्वारा इस तरह की धमकियों का उद्देश्य भारत की आंतरिक स्थिति को अस्थिर करना और भारतीय अदालतों के फैसलों को प्रभावित करना हो सकता है।
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