वडोदरा शहर की महानगरपालिका में सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ाने के कई मामले पहले भी सामने आए हैं, लेकिन इस बार का मामला बेहद चौंकाने वाला है। वडोदरा के भाजपा नगर सेवक आशीष जोशी ने खुद ही अपनी पार्टी के स्थानीय प्रशासन के खिलाफ मोर्चा चालू कर दिया है। उन्होंने नगर निगम के पूर्व टाउन प्लैनिंग अधिकारी जितेश त्रिवेदी को नियमों का उल्लंघन करते हुए कई महीनों तक उनके पद पर बने रहने का आरोप म्युनिसिपल कमिश्नर दिलीप राणा पर लगाया है। इस संबंध में जोशी ने राणा के खिलाफ कानूनी शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के नियमों को ताक पर रखकर त्रिवेदी को संरक्षण दिया गया।
कौन है जिम्मेदार?
आशीष जोशी, का कहना है कि म्युनिसिपल कमिश्नर दिलीप राणा ने सरकार के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद, जितेश त्रिवेदी को उनके पद पर बनाए रखा, जो कि सीधे-सीधे सरकारी नियमों का उल्लंघन है। यह सवाल खड़ा करता है कि क्या वडोदरा महानगरपालिका में प्रशासनिक नियम-कानून केवल दिखावे के लिए हैं? या फिर कुछ चुनिंदा अधिकारियों को विशेषाधिकार मिलते हैं?
इस मामले ने एक बार फिर से इस बात को उजागर किया है कि सत्ता में बैठे लोग कैसे अपने पदों का दुरुपयोग कर सकते हैं। यह केवल एक व्यक्ति विशेष का मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है। यदि ऐसे मामले सामने आते रहेंगे और उन पर कार्रवाई नहीं होगी, तो यह जनता के विश्वास को गंभीर रूप से ठेस पहुंचाएगा। वडोदरा की जनता अब यह सवाल पूछ रही है कि क्या उनके शहर का प्रशासन “अंधेर नगरी, चौपट राजा” की कहावत को सही साबित करने पर तुला हुआ है?
आगे का रास्ता
अब देखना होगा कि राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन इस मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं। क्या यह मामला केवल कागजों तक सीमित रह जाएगा, या फिर इसमें दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी?सरकार को ऐसे मामलों पर सख्ती दिखानी होगी, ताकि जनता का भरोसा टूटने न पाए।
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