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अमेरिकी उपराष्ट्रपति का भारत दौरा बना ‘पारिवारिक डिप्लोमेसी’ की मिसाल ;अक्षरधाम से आमेर तक संस्कृति का सेहरा

भारत की धरती एक बार फिर विश्व मंच की ओर से स्वागत का केंद्र बनी, जब अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस अपनी पत्नी उषा वेंस और तीन बच्चों के साथ भारत की चार दिवसीय यात्रा पर पहुंचे। पालम एयरपोर्ट पर पारंपरिक नृत्य, फूलों की वर्षा और गार्ड ऑफ ऑनर से हुए स्वागत के बाद, वेंस सीधे पहुंचे दिल्ली के भव्य अक्षरधाम मंदिर, जहां उन्होंने भारतीय संस्कृति की दिव्यता और आध्यात्मिकता को नमन किया।

यह दौरा केवल राजनीतिक औपचारिकता नहीं, बल्कि रिश्तों की गरिमा, संस्कृति की समझ और कूटनीति की कोमल अभिव्यक्ति का उदाहरण बन गया है।

परिवार संग भारत दर्शन: परंपरा और प्रेम का संगम

वेंस परिवार का यह दौरा आधिकारिक होने के साथ-साथ निजी भावनाओं से भी ओतप्रोत है। खास बात यह कि उषा वेंस, जो भारतीय मूल की हैं, पहली बार अपने पूर्वजों की धरती पर कदम रख रही हैं। उनके माता-पिता आंध्र प्रदेश से अमेरिका बसे थे, और अब बेटी के रूप में उषा का यह ‘वतन लौटना’ भारत-अमेरिका संबंधों को मानवीय भाव से जोड़ने वाला क्षण बन गया।

अक्षरधाम में भगवान स्वामीनारायण के दर्शन से शुरू हुई यात्रा जल्द ही जयपुर के आमेर फोर्ट, सिटी पैलेस और फिर आगरा के ताजमहल तक पहुंचेगी। जयपुर में वेंस परिवार का स्वागत 62 लाख रुपए के पारंपरिक गहनों से सजी हाथियों पुष्पा और चंदा द्वारा किया जाएगा — एक दृश्य जो कूटनीति में कला, परंपरा और सम्मान की नई परिभाषा रचेगा।

राजनीति के संग रिश्तों की गहराई

आज शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी उपराष्ट्रपति और उनके परिवार के लिए डिनर होस्ट करेंगे। इसके साथ ही NSA अजित डोभाल, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, और अमेरिकी प्रशासन के उच्च अधिकारियों के साथ भी गहन बातचीत होगी।

दौरे का केंद्र केवल पारंपरिक प्रेम नहीं, बल्कि टैरिफ तनाव, द्विपक्षीय व्यापार समझौते, क्षेत्रीय सुरक्षा, और टेक्नोलॉजी कोऑपरेशन जैसे जटिल मुद्दे भी हैं। उम्मीद की जा रही है कि जेडी वेंस और मोदी मिलकर 2030 तक भारत-अमेरिका व्यापार को 500 अरब डॉलर तक ले जाने की दिशा में ठोस कदम उठाएंगे।

जेडी वेंस का यह दौरा एक संदेश है – कि राजनीति जब पारिवारिक और सांस्कृतिक स्पर्श से मिलती है, तो उससे भरोसे की नींव मजबूत होती है। उषा वेंस की भारत यात्रा न केवल व्यक्तिगत विरासत की वापसी है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारतीय मूल के लोग विश्व राजनीति में कितनी अहम भूमिका निभा रहे हैं।

भारत और अमेरिका के रिश्तों को अब केवल रणनीतिक साझेदारी की दृष्टि से नहीं देखा जा सकता, यह एक सांस्कृतिक सेतु, आर्थिक सहयात्री, और वैश्विक संतुलन का आधार बन रहा है।

जेडी वेंस का भारत दौरा एक पारिवारिक यात्रा से कहीं अधिक है। यह वह क्षण है जब एक उपराष्ट्रपति, एक पति, एक पिता और एक भारतीय मूल की बेटी अपने बच्चों को भारत की धरती, उसकी परंपरा और उसकी आत्मा से परिचित करवा रहे हैं। यह डिप्लोमेसी नहीं, यह एक सांस्कृतिक पुनःआगमन है — जहां अमेरिका और भारत के रिश्ते दिल से दिल तक जुड़ते हैं।