उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में अतिक्रमण हटाने के दौरान एक ऐसा विवाद सामने आया, जिसने न केवल प्रशासनिक कार्रवाई को चुनौती दी, बल्कि एक गंभीर सुरक्षा मुद्दे को भी उजागर किया। गोंडा के परसपुर थाना क्षेत्र के तेलहा गांव में जब सरकारी टीम सार्वजनिक परिक्रमा मार्ग से अवैध अतिक्रमण हटाने पहुंची, तो एक अप्रत्याशित घटना ने सबको चौंका दिया। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के खिलाफ गांव में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया, और इस विरोध ने खतरनाक मोड़ लिया।
हंगामा और पथराव के बीच छलांग: एक विचित्र प्रयास
डीएम के आदेश पर राजस्व और पुलिस की संयुक्त टीम जब अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए मौके पर पहुंची, तो रघुराज सिंह की दो बेटियां, एकता और साधना, छत पर चढ़ गईं और पथराव शुरू कर दिया। जब महिला पुलिसकर्मी उन्हें शांत करने के लिए छत पर पहुंचीं, तो एकता ने एक पुलिसकर्मी को थप्पड़ मार दिया, जिससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई। इसके बाद एकता ने धमकी दी कि अगर कार्रवाई नहीं रुकी, तो वह छत से कूद जाएगी।
हंगामे के बाद कुछ समय के लिए माहौल बहुत गरम हो गया, और अंत में एकता ने छत से कूदने का साहसिक कदम उठाया। लेकिन पुलिसकर्मियों ने समय रहते उसे बचा लिया, जिससे एक बड़ी दुर्घटना टल गई। घायल होने के बाद एकता को सीएचसी ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया।
राजस्व लेखपाल अवधेश चौबे की शिकायत पर, पुलिस ने दोनों बहनों के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा डालने, सरकारी कर्मचारियों के साथ मारपीट करने और अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया। पुलिस ने एकता को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। दूसरी बहन, साधना, अभी भी फरार है और उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस की कार्रवाई जारी है।
संबंधित प्रशासन ने बताया कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पूरी तरह से संपन्न हो गई है और अब गांव में स्थिति सामान्य है। वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मामले की गंभीरता से जांच शुरू कर दी है।
क्या था युवतियों का विरोध?
अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न हुआ यह हंगामा महज एक स्थानीय विवाद का नतीजा नहीं था। यह घटना उस समय की है, जब प्रशासन ने इस पर कार्रवाई करने के लिए कई वर्षों से जमी हुई अतिक्रमण की समस्या का समाधान करने की कोशिश की थी। इस प्रकार के विरोधों के बावजूद, अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई आवश्यक और सही कदम है। हालांकि, जिस तरह से युवतियों ने अपनी नाराजगी जताई, उसने स्थिति को और जटिल बना दिया।
मेरे अनुसार, इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि जब सरकारी कार्रवाई और व्यक्तिगत हितों के बीच टकराव होता है, तो ऐसे विरोध हो सकते हैं। हालांकि, यह भी दिखाता है कि जब तक प्रशासन सही दिशा में काम करता है, उसे ऐसे विरोधों से घबराने की जरूरत नहीं है। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के खिलाफ हिंसा का रास्ता अपनाना सही नहीं है, और इसे लेकर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
सुरक्षा और प्रशासन की जिम्मेदारी
इस घटना ने प्रशासन और सुरक्षा बलों के लिए एक और महत्वपूर्ण सवाल खड़ा किया है: क्या इस तरह के विरोधों के दौरान सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था की जाती है? जबकि पुलिस और प्रशासन ने स्थिति को संभालने में तत्परता दिखाई, लेकिन युवती की छत से कूदने की कोशिश यह दर्शाती है कि ऐसे मामलों में ज्यादा सतर्कता और सुरक्षा की आवश्यकता है।
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