उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने अपनी परीक्षा नीतियों में अहम बदलाव करते हुए छात्रों की प्रमुख मांगों को स्वीकार किया है। प्रदर्शन कर रहे प्रतियोगी छात्रों के दबाव के बाद आयोग ने RO-ARO परीक्षा को स्थगित कर दिया है और UP PCS 2024 की प्रारंभिक परीक्षा को एक दिन में और एक शिफ्ट में कराने का फैसला लिया है।
छात्रों का संघर्ष रंग लाया
प्रयागराज में यूपीएससी के ऑफिस के बाहर एक लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे छात्रों के लिए यह एक बड़ी जीत मानी जा रही है। छात्रों की मुख्य मांग यह थी कि UP PCS परीक्षा एक दिन में हो, ताकि उन्हें एक ही दिन में एक साथ सभी प्रश्नों का उत्तर देने का मौका मिले।
आयोग ने अपनी उच्च स्तरीय बैठक में इस बात को मंज़ूर किया कि PCS परीक्षा को एक ही दिन और एक शिफ्ट में कराया जाएगा, जबकि RO-ARO 2023 की परीक्षा को लेकर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया। हालांकि, इस परीक्षा के लिए एक नई समिति गठित करने की घोषणा की गई है, जो परीक्षा के पैटर्न को लेकर विचार करेगी।
RO-ARO परीक्षा स्थगित, कमेटी गठित
UPPSC ने RO-ARO परीक्षा को स्थगित कर दिया है और इसकी नई तारीख को लेकर किसी भी प्रकार का निर्णय नहीं लिया गया है। आयोग ने यह भी कहा है कि दिसंबर में होने वाली RO-ARO परीक्षा अब नहीं होगी और परीक्षा के लिए एक नई समिति बनाई जाएगी जो परीक्षा पैटर्न पर विचार करेगी।
वहीं, प्रदर्शनकारी छात्रों ने आयोग के इस कदम को कुछ हद तक सकारात्मक तो माना है, लेकिन उन्होंने RO-ARO परीक्षा के बारे में फिलहाल के फैसले को असंतोषजनक बताया है। छात्रों का कहना है कि यह “डिवाइड एंड रूल” की रणनीति है, क्योंकि एक समूह को राहत दी जा रही है, जबकि दूसरे को अनिश्चितता में डाला जा रहा है।
गिरफ्तारी और राहत
आंदोलन के दौरान पुलिस ने कई छात्रों को गिरफ्तार किया था, लेकिन UPPSC की तरफ से की गई इस घोषणा के बाद इन सभी छात्रों को रिहा कर दिया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हस्तक्षेप के बाद आयोग ने RO-ARO परीक्षा को स्थगित करने का यह फैसला लिया, जो छात्रों की जीत के रूप में देखा जा रहा है।
छात्रों की निरंतर आवाज
हालांकि, छात्रों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे तब तक शांत नहीं बैठेंगे जब तक RO-ARO परीक्षा के लिए अंतिम निर्णय नहीं लिया जाता। हजारों की संख्या में छात्र आज भी प्रदर्शन में शामिल हैं और अपनी मांगों को लेकर दृढ़ नायक बने हुए हैं।
विरोध करने वाले छात्रों का कहना है कि यह आंदोलन केवल परीक्षा को लेकर नहीं है, बल्कि यह उनके भविष्य और उम्मीदों की भी लड़ाई है। उनका कहना है कि किसी भी परीक्षा का पैटर्न अचानक बदलना और विरोध को दबाने के लिए गिरफ्तारी की धमकियां देना, यह नहीं होना चाहिए।
आयोग की नीति और छात्रों का भरोसा
UPPSC के इस फैसले से यह साफ दिखता है कि आयोग छात्रों के दबाव में आया है, और उनकी एक बड़ी मांग को मान लिया है। हालांकि, RO-ARO परीक्षा पर अब भी अनिश्चितता बनी हुई है, और छात्र इस पर जल्द फैसला चाहते हैं।
इस घटना से यह साबित होता है कि जब छात्र एकजुट होते हैं और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करते हैं, तो वे प्रशासन को अपनी बात सुनाने में सफल होते हैं। हालांकि, आयोग को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में परीक्षा के पैटर्न में कोई भी बदलाव पहले से छात्रों के साथ साझा किया जाए और उनकी राय ली जाए।
UPPSC का यह फैसला छात्रों के लिए राहत का संकेत हो सकता है, लेकिन यह केवल शुरुआत है। जब तक RO-ARO परीक्षा के लिए एक स्थिर और पारदर्शी निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक छात्रों का आंदोलन जारी रह सकता है। यह घटनाक्रम न केवल यूपी के छात्रों के संघर्ष की कहानी है, बल्कि यह प्रशासन के लिए एक महत्वपूर्ण सबक भी है कि जब आप जनता की बात नहीं सुनते, तो उसकी आवाज मजबूरन उठनी पड़ती है।
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