आखिरकार स्वामी प्रसाद मौर्य ने योगी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। उनके साथ ही विधायक रोशनलाल, बृजेश प्रजापति, भगवती सागर भी सपा की सदस्यता लेंगे। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के तत्काल बाद हुए इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम ने जहां भाजपा की चिंता बढ़ाई है, वहीं सपा धारणा की सियासी लड़ाई में अचानक मजबूत दिखने लगी है।
दरअसल बीते चुनाव में भाजपा ने बड़ी संख्या में दलबदलुओं पर भरोसा जताया था। चुनाव से ठीक पहले पाला बदलने वाले करीब सौ नेताओं को टिकट दिया था। अब यही बाहरी नेता पार्टी के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं। मौर्य ने ऐसे समय में पाला बदला है, जब भाजपा के शीर्ष नेता शुरुआती तीन चरण के उम्मीदवारों पर मैराथन मंथन में जुटी थी।
इसके साथ ही अब पार्टी को डर है कि अगर पालाबदल का सिलसिला तेज हुआ तो हालात संभालने में समस्या आएगी। दरअसल सपा प्रमुख अखिलेश यादव को पता है कि पार्टी के लिए मुसलमान-यादव वोट बैंक अब सत्ता की चाबी नहीं रहा। लोकसभा के बीते दो और विधानसभा के एक चुनाव में करारी हार ने अखिलेश को इसका अहसास करा दिया।
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