CATEGORIES

July 2024
MTWTFSS
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031 
July 1, 2024
mysterious temples

देश के रहस्यमई मंदिरों की अनोखी कहानियां

भारत देश प्राचीन संस्कृति,धर्म और वेदों का देश है। यहां आदि काल से राजा, महाराजा,बड़े बड़े व्यापारियों द्वारा मंदिर बनाए जाने का इतिहास है।कई मंदिर तो अपने रहस्यों को लेकर चर्चा में है।

यूं तो हर मंदिर का अपना इतिहास और विशेषताएं है। लेकिन देश के कई मंदिर ऐसे है,जो अपने रहस्यों के कारण प्रसिद्ध हैं। अब गुजरात के बड़ोदरा के पास स्थित काविकंबोई के स्तंभेश्वर महादेव के मंदिर की बात करें,तो यह मंदिर सागर के किनारे स्थित है।सागर से यूं तो ये काफी दूर है, पर समंदर में उठते ज्वार के कारण शिखर तक यह मंदिर पानी में डूब जाता है।आप बाकायदा पानी की लहरों को मंदिर की तरफ आते देख सकते है,और मंदिर में आते पानी की प्रक्रिया भी देख सकते हैं।ऐसा ही भावनगर के घोघा के पास निष्कलंक महादेव का मंदिर है।यह भी ज्वार आते ही पानी में डूब जाता है।

कहा जाता है दक्षिण के प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर में स्थापित भगवान की मूर्ति को पसीना आता है।चेहरा और बाल गिले हो जाते है।
प्रयागराज में एक ऐसा मंदिर है , जहां पर कोई देव प्रतिमा नहीं है, यहां पर पालने की पूजा होती है। जी हां…यहां के आलोपी बाग में आलोपी देवी का मंदिर है। यह आलोपिशंकरी सिद्ध शक्ति पीठ है। यहां कोई देवी प्रतिमा नहीं है, लेकिन एक पालना है, जिसकी पूजा होती है। नंगे पैर परिक्रमा कर लोग मन्नत मानते है, और उनकी मनोकामना पूरी होती है। लोग रक्षासूत्र बांधते हैं।

एक कथा अनुसार सती के देहविलय के बाद शिवजी जब ब्रह्मांड में दुखी होकर घूम रहे थे,तब विष्णु भगवान ने उनके अंग छेदन किए। ये अंग जहां जहां गिरे,वो शक्ति पीठ कहलाए। यहां पर मां का दाहिना हाथ कुंड में गिरा, और फिर वह अदृश्य हो गया, अतः यह मंदिर अलोपी देवी मंदिर के रूप के जाना जाता है।इसलिए यहां पालने की पूजा होती है।

अब उत्तर प्रदेश के एक ऐसे मंदिर की बात करते हैं जिसे भूतों का मंदिर कहा जाता है। उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के सिंभावली के दातियान गांव में हजारों साल पुराना प्राचीन शिव मंदिर है। जिसे भूतों वाला या लाल मंदिर कहा जाता है। लोगो के अनुसार यह मंदिर भूतों ने एक रात में तैयार किया था। सुबह की पहली किरण के साथ भूत भाग गए और शिखर का काम अधूरा रह गया। लाल ईंटों से बने इस मंदिर में लोहे या सीमेंट का उपयोग ही नहीं हुआ। बाद में राजा नैन सिंह ने इस मंदिर के अधूरे शिखर का काम पूरा किया। यहां आज भी मेला लगता है,और श्रावण मास में भक्तों की भारी भीड़ रहती है।

ये तो चंद रहस्यमई मंदिरों की बात है। अभी कई कई ऐसे मंदिर हैं,जिनका उल्लेख बाकी है। जो हो होगा शृंखला के अगले भाग में।आपको यह लेख पसंद आया है तो लाइक और कॉमेंट जरूर करें।