प्रयागराज का महाकुंभ 2025 बहुत खास है इस महाकुंभ ने कई हजारों की जिंदगियां बना दी। कोई महाकुंभ में आने से फेमस हो गया तो किसी के स्टार्टप ने ऐसी तेजी पकड़ी की वो रातो रात लखपति बन गया। इसमें से ही एक हैं आकाश बनर्जी।
महाकुंभ में एक अनोखी सेवा सुर्खियों में आ गई है। डिजिटल क्रिएटर आकाश बनर्जी द्वारा साझा किए गए एक वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे एक व्यक्ति ‘डिजिटल फोटो स्नान’ की सेवा प्रदान कर रहा है। यह अनोखा स्टार्टअप अब सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन चुका है।
कैसे काम करता है डिजिटल स्नान?
वीडियो में प्रयागराज के दीपक गोयल अपने इस नए बिजनेस मॉडल को समझाते हुए कहते हैं, “मैं महा कुंभ में डिजिटल स्नान कराता हूँ।” उन्होंने बताया कि जो श्रद्धालु किसी कारणवश कुंभ में नहीं आ सकते, वे इस सेवा का लाभ उठा सकते हैं।
गोयल की कंपनी ‘प्रयाग एंटरप्राइजेज’ यह वर्चुअल तीर्थयात्रा सेवा प्रदान कर रही है। श्रद्धालु अपनी तस्वीरें उन्हें व्हाट्सएप के जरिए भेज सकते हैं। इसके बाद, गोयल उन तस्वीरों को प्रिंट करके संगम में डुबोते हैं और इस प्रक्रिया को रिकॉर्ड करके भेजते हैं। इस सेवा के लिए शुल्क 1,100 रुपये रखा गया है और यह प्रक्रिया 24 घंटे के भीतर पूरी कर दी जाती है।
डिजिटल स्नान के लिए डिजिटल स्टार्टअप बहुत बढ़िया हैं
मात्र 1100 रूपये में डिजिटल स्नान!
महज़ आपको दीपक गोयल को फ़ोटो भेजनी हैं
प्रिंट निकालकर आपको स्नान करा देगा!
विपदा में अच्छा अवसर ढूंढा हैं भाई ने 😂😂 pic.twitter.com/y0mVfjsCkD— Gagan Pratap 🇮🇳 (@GaganPratapMath) February 21, 2025
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
इस वीडियो को सोशल मीडिया पर खूब पसंद किया जा रहा है और लोग इस अनोखे विचार पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएँ दे रहे हैं। कुछ लोग इसे एक क्रांतिकारी स्टार्टअप बता रहे हैं, तो कुछ इसे मज़ाकिया नजरिए से देख रहे हैं। आकाश बनर्जी ने अपने वीडियो को कैप्शन दिया, “नेक्स्ट लेवल AI आइडिया। अगला यूनिकॉर्न स्टार्टअप स्पॉट किया गया।”
महा कुंभ 2025: 144 वर्षों बाद ऐतिहासिक आयोजन
गौरतलब है कि महा कुंभ मेला, जो दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है, 13 जनवरी से शुरू हुआ और 26 फरवरी तक चलेगा। इस 45 दिवसीय मेले में 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। यह ऐतिहासिक महा कुंभ 144 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद संगम तट पर आयोजित किया जा रहा है।
क्या डिजिटल स्नान आस्था की नई परिभाषा है?
यह अनोखी सेवा आस्था के बदलते स्वरूप को दर्शाती है। जहां एक ओर यह तकनीकी नवाचार का उदाहरण है, वहीं दूसरी ओर यह सवाल भी उठता है कि क्या वर्चुअल स्नान असली स्नान की आध्यात्मिकता और महत्ता को प्रतिस्थापित कर सकता है?
आप इस डिजिटल स्नान सेवा के बारे में क्या सोचते हैं? क्या यह एक नया धार्मिक ट्रेंड बन सकता है या सिर्फ एक दिलचस्प बिजनेस आइडिया है? अपनी राय हमें कमेंट में जरूर बताएं!
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