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Atal Bihari Vajpayee

पैदल संसद से लेकर ऑटो-रिक्शा तक, सादगी के प्रतीक अटलजी की अनसुनी कहानियां

25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन राजनीति और साहित्य का अद्भुत संगम रहा। आज पूरा देश उनकी 100वीं जयंती बना रहा है। इस अवसर पर चलिए आज हम आपकों उनके जीवन से संबंधित कुछ रोचक कहानियों से रूबरू कराते हैं जो शायद आपको नहीं बता होगी।

अटल बिहारी वाजपेयी के पिता पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी के विद्वान थे। उन्हीं से अटलजी को भाषा का ज्ञान और साहित्य के प्रति प्रेम मिला। बचपन से ही भाषण देने और कविताएं लिखने में रुचि रखने वाले अटलजी ने अपने भाषण-कला के माध्यम से हर छात्र प्रतियोगिता में जीत हासिल की। संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देने वाले पहले भारतीय नेता के रूप में उन्होंने न केवल देश बल्कि हिंदी भाषा को भी गौरव दिलाया।

अटल बिहारी वाजपेयी के दादा श्यामलाल ने उनका नाम ‘अटल’ रखा, लेकिन उनकी मां कृष्णा देवी उन्हें प्यार से ‘अटल्ला’ कहकर बुलाती थीं।

अटलजी का कहना था, “अगर मैं राजनेता न होता, तो एक सफल कवि होता।” उनकी कविताएं साहस और प्रेरणा का संदेश देती थीं। उनकी प्रसिद्ध कविताओं का संग्रह ‘मेरी इक्यावन कविताएं’ आज भी जन-जन को प्रेरित करता है। अटलजी की कविताएं उनके राजकीय जीवन में भी विरोधियों पर व्यंग्य का प्रभावी माध्यम थीं।

राजनीतिक जीवन और व्यक्तिगत अनुभव

अटल बिहारी वाजपेयी अपने जीवन में अविवाहित रहे, लेकिन उन्होंने कहा था, “मैं अविवाहित हूं… लेकिन कुंवारा नहीं।” उनके जीवन का यह पक्ष भी उनके हंसमुख और विनोदी स्वभाव को दर्शाता है।

1957 में सांसद बनने के शुरुआती दिनों में उन्होंने सादगी के साथ जीवन व्यतीत किया। कई महीनों तक संसद तक पैदल सफर करने के बाद, पहली बार छह महीने की तनख्वाह मिलने पर उन्होंने ऑटो-रिक्शा से सफर किया।

फिल्मों का शौक और जीवन का आनंद

अटलजी को फिल्मों का भी बेहद शौक था। 1957 में एक उपचुनाव हारने के बाद उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी से कहा, “चलो, फिल्म देखते हैं।” वे राज कपूर की फिल्म ‘फिर सुबह होगी’ देखने गए और अपने साथी को कहा, “आज भले हारे हैं, लेकिन सुबह जरूर होगी।”

1993 में अमेरिका दौरे पर गए अटलजी ने डिज़नीलैंड का दौरा किया। उन्होंने खुद लाइन में खड़े होकर टिकट खरीदी और बच्चों की तरह झूलों का आनंद लिया।

अटलजी का जीवन सादगी और आदर्शों से भरा रहा। उनकी हंसमुखता, काव्य लेखन और गहरी सोच ने उन्हें राजनीति और साहित्य में अमर बना दिया। उनके जीवन का हर पहलू हमें प्रेरणा देता है।

उनके शब्दों में, “पुरुषार्थ, शौर्य और भाईचारा हमारी परंपरा है। सभी समस्याओं का समाधान आपसी सद्भाव से ही संभव है।” अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृतियां और उनका जीवन हमेशा एक प्रेरणा स्रोत बना रहेगा।