UCC implemented in Uttarakhand: उत्तराखंड ने भारत में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लागू कर दिया है। इस फैसले के साथ ही राज्य में विवाह, तलाक, वारिस, और अन्य संबंधित मुद्दों के लिए समान कानून लागू होगा। आइए जानते हैं, UCC के लागू होने के बाद क्या बड़े बदलाव होंगे।
UCC लागू होने से मुख्य बदलाव
- विवाह पंजीकरण अनिवार्य – अब विवाह का पंजीकरण कराना हर व्यक्ति के लिए अनिवार्य होगा। ग्रामसभा स्तर तक विवाह पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध होगी।
- तलाक के लिए समान कानून – तलाक के मामले में अब धर्म, जाति, या संप्रदाय के आधार पर भेदभाव नहीं होगा। सभी के लिए समान नियम लागू होंगे।
- बहुविवाह पर प्रतिबंध – UCC लागू होने के बाद राज्य में बहुपत्नीत्व (बहुविवाह) पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है।
- लड़कों और लड़कियों की विवाह की आयु समान – विवाह के लिए लड़कियों की न्यूनतम आयु 18 वर्ष निर्धारित की गई है। यह नियम सभी धर्मों और जातियों पर लागू होगा।
- दत्तक अधिकार में समानता – अब सभी धर्मों के लोगों को बच्चों को गोद लेने का समान अधिकार मिलेगा। हालांकि, दूसरे धर्म के बच्चों को गोद लेने की अनुमति नहीं होगी।
- हलाला प्रथा पर रोक – UCC के तहत राज्य में हलाला जैसी प्रथाओं को समाप्त कर दिया गया है।
- लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण जरूरी – लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों को भी अपना रिश्ता पंजीकृत कराना अनिवार्य होगा। यदि उनकी आयु 18-21 वर्ष के बीच है, तो उन्हें अपने माता-पिता की सहमति भी देनी होगी।
- वारिस के अधिकार में समानता – संपत्ति के मामले में बेटियों को बेटों के समान अधिकार मिलेगा।
- धार्मिक परंपराओं और जनजातियों को छूट – धार्मिक परंपराओं और अनुसूचित जनजातियों को UCC के नियमों से छूट दी गई है।
2022 में UCC लागू करने का वादा
UCC लागू करना भारतीय जनता पार्टी (BJP) का 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रमुख वादा था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सत्ता में आते ही UCC का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति बनाई थी।
उत्तराखंड बना UCC लागू करने वाला पहला राज्य
12 मार्च, 2024 को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद, उत्तराखंड UCC को लागू करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया। अब यह विवाह, तलाक, वारिस, और अन्य मुद्दों को समान कानूनों से नियंत्रित करेगा।
अन्य राज्य भी ले सकते हैं प्रेरणा
आसाम सहित अन्य कई राज्यों ने UCC के इस मॉडल को अपनाने की इच्छा जताई है। यह कदम भारत में समान नागरिक कानून के व्यापक विस्तार की दिशा में एक महत्वपूर्ण शुरुआत है।
उत्तराखंड का UCC मॉडल न केवल राज्य बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन सकता है। यह कानून समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
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