कांग्रेस ने एक बार फिर अपनी खोई हुई ज़मीन को वापस पाने के लिए कमर कस ली है। गुजरात में पार्टी का ‘गढ़’ कभी मजबूत हुआ करता था, लेकिन समय के साथ वो दीवारें दरकती चली गईं। अब कांग्रेस गुजरात में अपनी राजनीतिक पकड़ को मज़बूत करने के लिए एक ज़ोरदार दो दिवसीय महाअभियान की शुरुआत कर रही है, जो आज से आरंभ हो चुका है।
क्या है यह महाअभियान?
इस अभियान का उद्देश्य है संगठन को ज़मीन से जोड़ना और आगामी चुनावों के लिए एक ठोस रणनीति तैयार करना। कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक के साथ-साथ प्रमुख नेताओं की मौजूदगी इस अभियान को खास बना रही है।
कौन-कौन हो रहे हैं शामिल?
अभियान में पार्टी के शीर्ष नेता, रणनीतिकार और जमीनी कार्यकर्ता शामिल होंगे। एक ओर जहां रणनीति तैयार की जाएगी, वहीं दूसरी ओर जनता के मुद्दों को समझकर उन्हें मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जाएगा।
क्या बदलेगा इससे?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह अभियान सफल रहा तो कांग्रेस को गुजरात में एक नई ऊर्जा मिलेगी। संगठनात्मक ढांचे को सशक्त बनाकर कांग्रेस फिर से खुद को ‘विकल्प’ के रूप में प्रस्तुत करना चाहती है।
दिल्ली का तापमान और गुजरात की गर्म सियासत
जहां एक ओर दिल्ली का तापमान 35 डिग्री पर पहुंच गया है, वहीं गुजरात की सियासी फिज़ा भी गर्म होती जा रही है। कांग्रेस का यह अभियान आने वाले चुनावों की आहट है और जनता की नब्ज़ को टटोलने की कोशिश।

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