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न्यूक्लियर डील पर ट्रंप की ईरान को धमकी : क्या बढ़ेगा तनाव?

अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौते (न्यूक्लियर डील) को लेकर तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को धमकी दी है कि यदि वह समझौते के लिए तैयार नहीं हुआ, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। दूसरी ओर, ईरान ने भी अपनी मिसाइलें तैनात करके जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है। यह स्थिति न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है।

क्या है विवाद? 2015 में अमेरिका और ईरान के बीच एक न्यूक्लियर डील हुई थी, जिसे जॉइंट कॉम्प्रिहेन्सिव प्लान ऑफ एक्शन (JCPOA) कहा जाता है। इस समझौते के तहत, ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने पर सहमति दी थी, बदले में उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों में छूट दी गई थी। लेकिन 2018 में डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते से अमेरिका को बाहर कर लिया और ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए। इसके बाद से दोनों देशों के बीच संबंध लगातार खराब होते गए हैं।

ट्रंप की नई धमकी और ईरान की प्रतिक्रिया

हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यदि ईरान परमाणु समझौते को लेकर झुकने को तैयार नहीं होता, तो उसे गंभीर नतीजे भुगतने होंगे। उनका कहना है कि अमेरिका के पास ऐसे सैन्य विकल्प हैं, जिनका इस्तेमाल करके ईरान को बड़ा नुकसान पहुंचाया जा सकता है दूसरी ओर, ईरान ने इस धमकी को हल्के में नहीं लिया और अपनी मिसाइलों को अलर्ट मोड में डाल दिया। ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ने साफ शब्दों में कहा कि ईरान किसी भी आक्रमण का मुंहतोड़ जवाब देगा और अपनी रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा।

क्या होगा इस तनाव का असर?

न्यूक्लियर डील को लेकर अमेरिका और ईरान के बीच आपसी विश्वास की कमी का मुख्य कारण क्या है?

यदि अमेरिका और ईरान के बीच तनाव और बढ़ता है, तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा। तेल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा, मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता को भी बड़ा खतरा हो सकता है इस संकट को हल करने के लिए दोनों देशों को बातचीत का रास्ता अपनाना होगा। कूटनीतिक स्तर पर वार्ता से ही इस समस्या का समाधान निकल सकता है। यदि अमेरिका और ईरान अपने मतभेदों को दूर करके किसी नए समझौते पर सहमत हो जाएं, तो यह पूरी दुनिया के लिए एक सकारात्मक कदम होगा।

यदि यह तनाव बढ़ता रहा, तो भारत जैसे देशों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?