डोनाल्ड ट्रंप: अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली है। उनके आगमन के साथ वैश्विक इक्विटी बाजार “ट्रंप 2.0” के लिए तैयार हो रहा है। निवेशक नई प्रशासनिक नीतियों के तहत टैरिफ बढ़ाने की संभावनाओं को लेकर सतर्क हैं। ट्रंप ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह ऊंचे टैरिफ के पक्षधर हैं, जिससे चीन के साथ व्यापार युद्ध की आशंका फिर से बढ़ गई है। साथ ही, H1-B वीजा और बिटकॉइन भी उनके एजेंडे का हिस्सा हैं।
ब्रोकरेज संस्थाओं का अनुमान
डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयानों और उनके प्रशासन द्वारा ट्रेड टैरिफ, इक्विटी मार्केट, क्रिप्टो, H1-B वीजा और अन्य एसेट क्लासेस को कैसे प्रभावित किया जा सकता है, इस पर प्रमुख ब्रोकरेज संस्थाओं ने अपने विश्लेषण प्रस्तुत किए हैं।
अमेरिका में किन क्षेत्रों को होगा फायदा
ट्रंप के आने से अमेरिका में मटीरियल, ऑटो और सेमीकंडक्टर जैसे सेक्टर्स को लाभ होगा। हालांकि, कंज्यूमर सेक्टर पर सबसे ज्यादा नकारात्मक प्रभाव (-6% से -8%) पड़ सकता है, क्योंकि यह चीन से भारी मात्रा में आयात करता है।
चीन पर असर
चीन के प्रभावित क्षेत्रों में टेक हार्डवेयर और उपकरण (अमेरिका से 15% राजस्व), बैंकिंग (कम लोन ग्रोथ और खराब एसेट क्वालिटी) शामिल हैं।
भारत पर प्रभाव
भारत के लिए, 95% विशेषज्ञ मानते हैं कि व्यापक टैरिफ से भारतीय शेयरों पर कोई खास असर नहीं होगा। भारतीय बाजार तुलनात्मक रूप से बेहतर प्रदर्शन कर सकता है।
जूलियस बेयर का विश्लेषण
जूलियस बेयर का कहना है कि पूंजी बाजार स्थिर मैक्रोइकॉनॉमिक कारकों की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन नीतिगत अनिश्चितता अपने चरम पर है। ट्रंप प्रशासन की आर्थिक नीतियां विरोधाभासी हैं। फेडरल रिजर्व 2025 तक फेडरल फंड्स रेट को 4.5% पर स्थिर रख सकता है।
क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य
संस्थागत निवेशक अब क्रिप्टोकरेंसी को नजरअंदाज नहीं कर सकते, क्योंकि ट्रंप प्रशासन इसे मुख्यधारा में लाने की तैयारी कर रहा है। हालांकि, बिटकॉइन को सोने के विकल्प के बजाय डिजिटल संपत्ति के रूप में देखा जा रहा है।
चीन-यूएस टैरिफ का असर
ट्रंप प्रशासन की टैरिफ नीतियों से चीन के निर्यातकों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन यह चीन की कंपनियों को अमेरिका में उत्पादन यूनिट स्थापित करने का अवसर भी प्रदान कर सकता है।
नोमुरा का अनुमान
नोमुरा के अनुसार, ट्रंप अपने चुनावी वादों को पूरा करते हुए चीन पर टैरिफ दरों में तेजी से वृद्धि कर सकते हैं, जिसका चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वयन किया जाएगा। इससे 2025 की दूसरी तिमाही से मुद्रास्फीति बढ़ने की संभावना है। अगर ट्रंप शपथ ग्रहण के तुरंत बाद टैरिफ लागू करते हैं, तो इससे मुद्रास्फीति में तेज वृद्धि हो सकती है।
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