वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन ने रूस के खिलाफ साइबर ऑपरेशन पर अचानक रोक लगा दी है। पेंटागन के अधिकारियों के अनुसार, यह कदम रक्षामंत्री पीट हेगसेथ के आदेश पर उठाया गया। खास बात यह है कि ये आदेश यूक्रेन संघर्ष पर ट्रम्प और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की की मुलाकात से पहले ही दिए गए थे। इसका मुख्य उद्देश्य रूस को बातचीत की मेज पर लाना और यूक्रेन युद्ध का समाधान निकालना था।
क्या है इस फैसले का मकसद?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रम्प प्रशासन रूस के खिलाफ सभी साइबर कार्रवाइयों का रिव्यू कर रहा है। पेंटागन और यूएस साइबर कमांड ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन यह निर्णय अमेरिकी प्रशासन के कूटनीतिक प्रयासों का हिस्सा प्रतीत होता है। विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी इस बात पर जोर दिया कि यदि रूस को बातचीत की मेज पर लाना है, तो पुतिन के प्रति विरोधी रवैया अपनाना सही नहीं होगा।
साइबर हमलों की बढ़ती घटनाएं
हालांकि, अमेरिकी प्रशासन के इस फैसले से रूस के खिलाफ साइबर हमलों में कमी की संभावना नहीं है। पिछले कुछ सालों में रूस के साइबर हमलों ने अमेरिका को लगातार परेशान किया है, खासकर अस्पतालों और बुनियादी ढांचों पर रैनसमवेयर हमले। इन हमलों में ज्यादातर रूस की खुफिया एजेंसियों का हाथ माना जाता है। इसके अलावा, यूरोप में भी रूस द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं बढ़ी हैं। यूरोपीय देशों को भी अब रूस के साइबर ऑपरेशनों के खिलाफ अपनी सुरक्षा बढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है।
रूस के खिलाफ कदम पीछे हटाना एक बड़ा दांव
पूर्व अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यह सामान्य है कि कूटनीतिक बातचीत से पहले ऐसे ऑपरेशनों पर रोक लगाई जाती है, लेकिन रूस के खिलाफ इस तरह की कार्रवाइयों से पीछे हटना एक बड़ा दांव है। रूस की लगातार कोशिशें अमेरिकी खुफिया नेटवर्क में घुसने की बनी रहती हैं, और अब ट्रम्प प्रशासन का यह कदम एक सख्त संदेश हो सकता है।
रूस का अमेरिकी चुनावों में हस्तक्षेप
रूस के खिलाफ साइबर ऑपरेशनों की रोक, अमेरिकी चुनावों में रूस के बढ़ते दखल को लेकर भी चिंता का विषय बन सकती है। पहले भी रूस ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में नतीजों को प्रभावित करने के लिए बड़ा अभियान चलाया था। बाइडेन प्रशासन के दौरान भी रूस का चुनावों में हस्तक्षेप बढ़ा था। ऐसे में, ट्रम्प प्रशासन का यह कदम अमेरिकी एजेंसियों के लिए एक झटका साबित हो सकता है, जो रूस के साइबर हमलों से निपटने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे।
इस फैसले से यह सवाल उठता है कि क्या अमेरिका रूस के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा कदम उठा रहा है? रूस के साइबर हमलों के चलते अमेरिकी और यूरोपीय देशों को अपनी सुरक्षा प्रणालियों को और मजबूत करना पड़ेगा। हालांकि, यह कदम कूटनीतिक दृष्टिकोण से समझ में आता है, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि इस बीच रूस को मौका न मिले अमेरिका और यूरोप के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर और हमले करने का। साइबर सुरक्षा के मामलों में कोई भी ढीलापन बेहद महंगी साबित हो सकती है।
रूस के खिलाफ साइबर ऑपरेशनों पर रोक लगाने का ट्रम्प प्रशासन का फैसला अमेरिका और रूस के रिश्तों को एक नया मोड़ दे सकता है। हालांकि, यह कदम कूटनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो सकता है, लेकिन साइबर सुरक्षा के मोर्चे पर अमेरिका को पूरी सतर्कता बरतने की आवश्यकता होगी। रूस के साथ किसी भी प्रकार के समझौते से पहले, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि अमेरिकी और यूरोपीय इन्फ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा मजबूत हो।
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