CATEGORIES

May 2025
M T W T F S S
 1234
567891011
12131415161718
19202122232425
262728293031  
Wednesday, May 7   2:51:23

ट्रैफिक समस्याएं — कभी न रुकने वाली जंग

“हर सुबह की शुरुआत एक नई उम्मीद से होती है, लेकिन जैसे ही हम सड़कों पर उतरते हैं, वो उम्मीद ट्रैफिक जाम में फंस जाती है।”

आज भारत के महानगरों से लेकर छोटे शहरों तक, ट्रैफिक की समस्या एक आम और गंभीर मुद्दा बन चुकी है भीड़भाड़, अनियंत्रित वाहन, नियमों की अनदेखी और धैर्य की कमी !

ये सब मिलकर हमारी सड़कों को युद्ध का मैदान बना देते हैं।

क्या आप जानते हैं ? कि भारत में हर साल लगभग 1.5 लाख से ज्यादा लोग सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाते हैं? पर आखिर क्यों क्या कारण है इसके ?

इसका एक बड़ा कारण ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन है दिलचस्प बात यह है कि हम रेड लाइट पर 90 सेकंड भी नहीं रुक सकते, लेकिन उसी ट्रैफिक में घंटों फंसे रहते हैं और दोष हमेशा सिस्टम को देते हैं”!

“ट्रैफिक सिर्फ वाहनों का नहीं होता, यह सोच का भी होता है जहाँ हर कोई पहले निकलना चाहता है।”

यदि सड़कें जीवन का रास्ता हैं, तो ट्रैफिक नियम उनका अनुशासन हैं मानते है सड़कों पर “गति ज़रूरी है, पर सुरक्षा उससे भी ज़्यादा।”

अब सवाल ये उठता है ? कि क्या हमें सिर्फ सरकार को जिम्मेदार ठहराने से बदलाव ला पाएंगे? या फिर हमें भी कुछ बदलाव करने की ज़रूरत है?

सोचिए
क्या आपने कभी जानबूझकर ट्रैफिक नियम तोड़ा है?
क्या आप मानते हैं कि ट्रैफिक में हमारी सोच, धैर्य और व्यवहार का भी बड़ा हाथ है?

क्योंकि अगर ऐसा है तो अगली बार जब आप सिग्नल तोड़ने की सोचें, तो ये भी जरूर सोचे कि क्या एक ज़िंदगी का जोखिम उस 2 मिनट की जल्दी से ज़्यादा कीमती नहीं ?

आज के भीड़ भाड़ वाली इस जिंदगी में”ट्रैफिक एक अनदेखी त्रासदी” क्योंकि “ये सड़कें सिर्फ कंक्रीट की नहीं होतीं,
हर मोड़ पर किसी की अधूरी कहानी होती है ट्रैफिक सिर्फ गाड़ियों का नहीं,ये हमारे धैर्य, सोच और ज़िम्मेदारी का भी इम्तिहान होती है।”

भारत में हर साल जितने लोग आतंकवाद या प्राकृतिक आपदाओं से नहीं मरते, उससे कहीं ज्यादा लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा देते हैं ! इसी तरह की एक घटना जो हाल में गुजरात के वडोदरा में हुई जहां सड़क दुर्घटना में 7 लोग घायल हुए और एक 45 वर्षीय महिला ने अपनी जान गंवा दी

आखिर इसका कारण क्या है..क्यों नहीं रुकती ये घटना क्या किसी की जिंदगी इतनी सस्ती है जो किसी और की गलती की सजा अपनी जान गंवा कर अदा करे ?

हम आए दिन जल्द बाजी में ट्रैफिक नियमों की अनदेखी, करते है और नियमों के पालन के दौरान ये सोचते है “मैं क्यों रुकूं”मैं क्यों करूं पालन ऐसी ही सोच यही हमारी आज के समय में सबसे बड़ी दुश्मन बन चुकी है

कभी आपने देखा है

एक एंबुलेंस सायरन मार रही होती है और लोग फिर भी रास्ता नहीं देते?
किसी की माँ इलाज के इंतज़ार में मर जाती है,
क्योंकि आपने लेफ्ट की जगह सेंटर में कार खड़ी की थी।”

“एक बाप अपने बच्चे को स्कूल छोड़ने जाता है,
लेकिन वापस सिर्फ उसका बैग आता है।”

“हर ट्रैफिक लाइट पर रुकना सिर्फ कानून पालन नहीं,वो एक ज़िंदगी बचाने का मौका हो सकता है” इसी तरह जब आप हेलमेट नहीं पहनते, तो आप सिर्फ जुर्माना नहीं बढ़ाते घर में आंसुओं की गारंटी देते हैं।”

‘रास्ते खामोश थे’
रास्ते खामोश थे, मंज़िल दूर नहीं थी,
पर एक हॉर्न की आवाज़ ने सन्नाटा चीर दिया।
टायर रगड़े ज़मीन से, कुछ सपने बिखर गए,
एक छोटी सी गलती ने, कई घर उजाड़ दिए।
ना कोई दुश्मन था, ना कोई लड़ाई,
बस जल्दबाज़ी की थी, और मिल गई सजा मौत की।

जल्दी में हम सब हैं, पर सवाल ये है
क्या हम ज़िंदा पहुँचेंगे?”

अब सोचने पर मजबूर करने वाले सवाल ये है कि
जब आप रेड लाइट तोड़ते हैं क्या आपने सोचा है कि कौन पीछे आपकी गलती का भुगतान करेगा?

क्या हम सच में इतने व्यस्त हैं कि हमें दो मिनट रुकने में भी तकलीफ़ है?

ट्रैफिक पुलिस को गाली देने से पहले, क्या हमने खुद ट्रैफिक नियमों का पालन किया?

अगर आपकी एक लापरवाही किसी मासूम की जान ले ले क्या आप उस बोझ के साथ जी पाएंगे?

“सड़क पर नियमों का पालन करना बहादुरी है क्योंकि असली हीरो वही होता है जो दूसरों की जान की कद्र करता है।
तो अगली बार जब आप सड़क पर हों याद रखिए,

‘जल्दी में मत मरो… ज़िम्मेदारी से जियो क्योंकि सड़कें सबकी हैं और ज़िंदगी सबकी अनमोल।”