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मेमोरी वाला यह मेटल खुद बदल लेता है अपना आकार… जानिए कैसे करेगा मंगल पर इंसानी बस्ती बसाने में मदद

19 Mar. Vadodara: क्या आपने कभी निर्जीव वस्तु में आपने याददाश्त की बात सुनी है? लेकिन वैज्ञानिकों ने अब एक ऐसा धातु तैयार किया है जिसमें याददाश्त है। यानी मेटल विद मेमोरी। धरती पर ऐसी मेमोरी वाली निर्जीव वस्तुओं का उपयोग हार्ट सर्जरी में किया जाता है। जैसे दिल के ऑपरेशन में डॉक्टर एक ऐसी क्यों डालते हैं जो मरीज के खून की नली में जा कर खुद ब खुद डाइलेट हो जाती है। यानी नली के आकार के हिसाब से खुद को चौड़ी कर लेती है। कुछ ऐसे ही धातु परमिशन के लिए भी तैयार की गई है जो अपने हिसाब से अपना आकार बदल सकती हैं।

मेटल विद मेमोरी यानी की याददाश्त वाली धातु से अगर चंद्रमा और मंगल ग्रह पर जाने वाले रोवर के पहिए बनाए जाएं तो वह रास्ते में आने वाले पत्थरों के मुताबिक अपना आकार बदल कर रोवर को आसानी से चला सकती है। समतल जगह आने पर वापस अपने पुराने आकार में आ जाएगी।

वैज्ञानिकों का दावा है कि इस तरह की धातु का उपयोग भविष्य में मंगल या चांद पर इंसानी बस्ती बसाने में मददरूप साबित हो सकता है। इसके लिए इसे कोई मैकेनिकल निर्देश देने की जरूरत भी नहीं। मेटल विद मेमोरी को वैज्ञानिकों ने नाम दिया है ‘नीतिनोल’। वैज्ञानिकों ने यह भी दावा किया है कि यह मेटल अपना आकार याद रखती है। दबाव, घर्षण या रफ्तार में अगर इसका स्वरूप बदलता है तो यह पुरानी स्थिति में वापस भी आने में सक्षम है।

आपको यह जानकारी भी देते चले की ‘द वर्ज’ प्रकाशित किया गया है कि नीतिनोल को निकल (Nickel) और टाइटेनियम (Titanium) धातुओं से मिलाकर बनाया गया है। यह जितनी गर्म होती है उतना ही सादा बेहतरीन तरीके से काम करती है। इसे आकार बदलने की ट्रेनिंग दी गई है। उदाहरण के तौर पर इसे समझा जाए तो नीतिनोल की पेपर क्लिप लें और उसे 500 डिग्री सेल्सियस पर गर्म करें तो यह आपके मन चाहे रूप में बदल सकती है।

 

गर्म करने के बाद आप इसे तुरंत पानी में डाल दें तो यह आपकी जरूरत के मुताबिक निर्धारित आकार में बदल जाती है। लेकिन जैसे ही इसे गर्मी वापस मिलती है तो इसे वापस अपने पुराने आकार में लौट जाती है। मेटल विद मेमोरी गर्मी के साथ अपना जादू दिखाती है। यानी मंगल ग्रह पर अगर गर्मी ज्यादा होगी तो यह भी अपना स्वरूप वापस लेगी।

नासा के ग्लेंस रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इस समय टल के जरिए वह सबसे पहले मंगल ग्रह की मिट्टी का सैंपल कलेक्ट करेंगे। इस मिशन में नीतिनोल महत्वपूर्ण किरदार निभाएगी। इस मिशन में नासा के साथ यूरोपियन स्पेस एजेंसी भी शामिल हो रही है।

लेकिन आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि नीतिनोल का उपयोग दांतो की ब्रेसेस बनाने में भी होता है। जिससे इन ब्रेसेस द्वारा दांतों को सही आकार देने में सहायता करती है। इसके अलावा इस धातु का उपयोग रूट कनाल ट्रीटमेंट में भी किया जाता है। आंतों को जोड़े रखने के लिए भी इस मेटल विद मेमोरी का उपयोग होता है। इससे स्टंट्स बनते हैं। हड्डियों के इंप्लांट्स भी बनाए जाते हैं।

मेटल विद मेमोरी शिव ब्रेस्ट कैंसर की मार्किंग और लोकेशन का अंदाजा लगाया जा सकता है। साथ ही इसका उपयोग मेडिकल साइंस में सबसे ज्यादा किया जाता है। यह धातु 1310 डिग्री सेल्सियस पर पिघलती है। मेटल विद मेमोरी यानी नीतिनोल एक सुपर इलेक्ट्रिक धातु है जो जरूरत के मुताबिक खुद को खींचकर लंबा या छोटा करने में सक्षम है।

नीतिनोल की खासियत पहली बार 1959 में अमेरिका की नेवल ऑर्डिनेंस लेबोरेटरी में पता चली थी। उस समय विलियम जे बुहलर फ्रेडरिक बांग इस पर शोध कर रहे थे। तब उन्होंने इसका नाम मेटल विद मेमोरी रखा था। है न कुछ अलग हटके यह मेटल विद मेमोरी!