लोकसभा सत्र की शुरुआत हुए दो ही दिन हुए थे कि आज सत्तापक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ गए। मामला लोकसभा स्पीकर के पद का था। डिप्टी स्पीकर का पद मांग रहे विपक्ष ने सहमति न बनने पर लोकसभा स्पीकर के लिए के. सुरेश को कैंडिडेट बना दिया। NDA की तरफ से ओम बिरला कैंडिडेट थे। 26 जून, यानी आज 11 बजे ध्वनि मत से ओम बिरला स्पीकर चुन लिए गए। इसके लिए वोटिंग की नौबत नहीं आई। अगर वोटिंग होती तो देश के संसदीय इतिहास में ये सिर्फ तीसरा मौका होता, जब लोकसभा स्पीकर का चुनाव वोट डालकर किया जाता। BJP ने ओम बिरला को स्पीकर बनाने का फैसला करके साफ कर दिया कि सरकार जैसे पहले चलती थी, वैसी ही अब भी चलेगी। वहीं कांग्रेस ने अपना कैंडिडेट उतारकर साबित करने की कोशिश की है कि विपक्ष अब कमजोर नहीं है। स्पीकर चुने जाने के बाद फौरन ओम बिरला ने सदन में इमरजेंसी की निंदा की। उन्होंने कहा- इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाकर अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान का अपमान किया था।
स्पीकर के प्रस्ताव रखते ही पक्ष और विपक्ष के सांसदों ने नारेबाजी शुरू कर दी। स्पीकर ओम बिरला इमरजेंसी के दौरान जान गंवाने वालों की याद में दो मिनट का मौन रखने को कहा। सत्ता पक्ष के सांसदों ने मौन रखा, लेकिन कांग्रेस और विपक्ष के सांसद हंगामा करते रहे। कांग्रेस सांसदों का आरोप था कि स्पीकर भाजपा का एजेंडा चला रहे हैं। मौन के बाद स्पीकर ने गुरुवार तक के लिए संसद को स्थगित कर दिया। अब कल (गुरुवार को) संसद में राष्ट्रपति का अभिभाषण होगा।
24 जून से 18वीं लोकसभा का पहला सेशन शुरू हो चुका है। 10 साल बाद लोकसभा में लीडर ऑफ अपोजिशन चुना गया है। कांग्रेस नेताओं ने मांग कि है कि इंडिया गठबंधन को एकजुट रखने और नई NDA सरकार के कामों पर नजर रखने के लिए शैडो कैबिनेट बनाई जाए। ये पहली बार नहीं है कि विपक्ष ने शैडो कैबिनेट बनाने की बात कही है। इससे पहले 2014 में कांग्रेस ने पार्टी स्तर पर मोदी सरकार की निगरानी के लिए 7 शैडो कैबिनेट कमेटियां बनाई थीं। शैडो कमेटी का कॉन्सेप्ट ब्रिटेन से आया है, जहां से भारत का पार्लियामेंट्री सिस्टम मोटिवेटेड है।ब्रिटेन में विपक्ष के नेता को शैडो PM कहा जाता है। हमारी संसद की किताब में भी शैडो PM का जिक्र है, लेकिन इसे कभी अमल में नहीं लाया गया है। इस बार राहुल गांधी लीडर ऑफ द अपोजिशन होंगे। अगर शैडो कैबिनेट बनती है तो वे ही शैडो PM होंगे।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष का नेता बनाया गया है । पार्टी ने मंगलवार (25 जून) को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर इंडिया गठबंधन के नेताओं की बैठक के बाद इसकी घोषणा की। इसके बाद कांग्रेस संसदीय बोर्ड की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि माहताब को इस संदर्भ में पत्र भी लिखा।राहुल अपने 20 साल के पॉलिटिकल करियर में पहली बार कोई संवैधानिक पद संभाल रहे है। वे इस पद पर रहने वाले गांधी परिवार के तीसरे सदस्य होंगे। इससे पहले उनके पिता और पूर्व PM राजीव गांधी 1989-90 और मां सोनिया 1999 से 2004 तक इस पद पर रह चुकी हैं।लोकसभा में 10 साल से नेता प्रतिपक्ष का पद खाली था। 2014 और 2019 में किसी विपक्षी दल के पास इसके लिए जरूरी न्यूनतम 10% सदस्य नहीं थे। नेता प्रतिपक्ष पद के लिए दावा पेश करने के लिए किसी भी पार्टी को कुल 543 में से 55 सदस्यों का आंकड़ा पार करना होता है। 2024 के चुनाव में कांग्रेस 99 सीटों के साथ सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनी है।
भाजपा की 240 और NDA की 293 सीटों के मुकाबले इंडिया गठबंधन 232 सीटें जीतने में कामयाब रही। इससे पहले 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 52 सीटें जीती थीं। 2014 के चुनाव में पार्टी सिर्फ 44 सीटों पर जीत हासिल कर सकी थी। नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल को कई शक्तियां और अधिकार मिल जाएंगे। वे प्रधानमंत्री के साथ चीफ इलेक्शन कमिश्नर सहित चुनाव आयोग के दो अन्य सदस्यों की नियुक्ति का चयन करने वाले प्रमुख पैनल का हिस्सा होंगे। इसके अलावा राहुल लोकपाल, ED-CBI डायरेक्टर, सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर, सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमिश्नर, NHRC प्रमुख को चुनने वाले समितियों के भी सदस्य होंगे। प्रधानमंत्री इन समितियों के अध्यक्ष होते हैं। ऐसा पहली बार ऐसा होगा, जब इन पदों पर नियुक्ति के फैसलों में प्रधानमंत्री मोदी को राहुल गांधी से सहमति लेनी होगी।राहुल भारत सरकार के खर्चों की जांच (ऑडिटिंग) करने वाली लोक लेखा समिति के अध्यक्ष भी होंगे। वो सरकार के कामकाज की लगातार समीक्षा भी करेंगे। राहुल दूसरे देशों के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री को भी राष्ट्रीय मुद्दों पर अपना दृष्टिकोण देने के लिए भारत बुला सकते हैं।
यानी जिस राहुल गांधी को 2014 में प्रधानमंत्री पप्पू कहा करते थे 2019 में शहजादा कहकर चिढ़ाया करते थे अब वह प्रधानमंत्री के समकक्ष बैठने के काबिल हो गए हैं, जैसे विपक्ष को मजबूती मिलेगी और देश हित में अच्छे निर्णय भी लिए जा सकेंगे।
18वीं लोकसभा में राहुल गांधी के कंधों पर एक अहम जिम्मेदारी है. वो विपक्ष के नेता के रूप में नजर आ रहे हैंजिम्मेदारी उठाने के बाद ही राहुल गांधी ने अपने लुक में बदलाव किया है। राहुल गांधी सदन में आज फॉर्मल कुर्ता और पायजामा पहने नजर आए। वो ज्यादा समय कैजुअल लुक में ही नजर आते हैं। मंगलवार को बतौर सांसद शपथ ग्रहण के वक्त भी राहुल गांधी टी-शर्ट और जीन्स में थे.भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी ज्यादातर समय राहुल गांधी कैजुअल लुक में देखे गए थे. वो हर वक्त राहुल गांधी अपनी सफेद रंग की टी शर्ट में ही नजर आए थे.इस लुक को लेकर उन्होंने कहा था, ‘मेरे लिए यह सफेद टी शर्ट पारदर्शिता, दृढ़ता और सरलता का प्रतीक है.
संजय राउत ने सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर की है. इस फोटो में राहुल गांधी लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से हाथ मिलाते हुए नजर आ रहे हैं. जबकि प्रधानमंत्री मोदी उनके पीछे खड़े हैं. इस फोटो को शेयर करते हुए उन्होंने लिखा, ‘हा हा हाहा! कौन राहुल? ये है राहुल! ये तो ट्रेलर है. आगे आगे देखो होता है क्या?

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