भारत-पाकिस्तान के बीच मौजूदा तनावपूर्ण हालात के बीच भारत सरकार ने देशभर में नागरिक सुरक्षा को मज़बूत करने के उद्देश्य से एक बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश के 244 जिलों में मॉक ड्रिल (Civic Defence Mock Drill) आयोजित करने का आदेश दिया है, जो 7 मई 2025 (बुधवार) को एक साथ की जाएगी।
क्या है यह मॉक ड्रिल?
यह मॉक ड्रिल एक राष्ट्रव्यापी सुरक्षा अभ्यास है जिसका उद्देश्य संभावित हवाई हमले, ब्लैकआउट, नागरिकों की सुरक्षित निकासी (Evacuation) और अलर्ट सायरनों के प्रभावी संचालन जैसी तैयारियों की जांच करना है। इन ड्रिल्स के जरिए न सिर्फ उपकरणों की टेस्टिंग की जाएगी, बल्कि प्रशासन और आम नागरिकों की आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमता भी परखी जाएगी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह मॉक ड्रिल सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक रणनीतिक तैयारी है, जो नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बेहद ज़रूरी है। यह अभ्यास नागरिकों को भी सतर्क और जागरूक बनाने की दिशा में अहम भूमिका निभाएगा।
तीन श्रेणियों में बांटे गए शहर
गृह मंत्रालय द्वारा जारी लिस्ट के अनुसार देश के 259 शहरों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है
कैटेगरी-1 (उच्च संवेदनशीलता वाले क्षेत्र – 13 शहर)
इन शहरों में विशेष रणनीतिक और परमाणु महत्व वाले स्थान शामिल हैं, जैसे:
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दिल्ली (दिल्ली कैंट सहित)
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उत्तर प्रदेश: बुलंदशहर (नरोरा)
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गुजरात: सूरत, वड़ोदरा, काकरापार
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महाराष्ट्र: मुंबई, उरान, तारापुर
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राजस्थान: कोटा, रावतभाटा
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तमिलनाडु: चेन्नई, कलपक्कम
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ओडिशा: तलचर
कैटेगरी-2 (मध्यम जोखिम वाले क्षेत्र – 201 शहर):
इस श्रेणी में उत्तर भारत के संवेदनशील सीमावर्ती जिले, प्रमुख शहर और रक्षा प्रतिष्ठानों से जुड़े इलाके शामिल हैं:
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जम्मू-कश्मीर: अनंतनाग, बारामूला, करगिल, पूंछ, राजौरी, श्रीनगर, उड़ी, नौशेरा
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उत्तर प्रदेश: आगरा, प्रयागराज, गोरखपुर, लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, कानपुर, झांसी, गाजियाबाद, मथुरा
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उत्तराखंड: देहरादून
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तेलंगाना: हैदराबाद
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आंध्र प्रदेश: विशाखापत्तनम
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असम: तवांग, तेजपुर, डिगबोई, गुवाहाटी
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गुजरात: गांधीनगर
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पश्चिम बंगाल: ग्रेटर कोलकाता
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अन्य प्रमुख शहर: पठानकोट, शिमला, दमन आदि
कैटेगरी-3 (कम जोखिम लेकिन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण – 45 शहर):
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बिहार: बेगूसराय
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गुजरात: भरूच, कच्छ, मेहसाणा
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हरियाणा: झज्जर, हिसार, गुरुग्राम
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महाराष्ट्र: औरंगाबाद, भुसावल
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पंजाब: फरीदपुर
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उत्तर प्रदेश: बागपत, मुजफ्फरनगर
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पश्चिम बंगाल: हावड़ा, बर्धमान, मुर्शिदाबाद
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झारखंड: गोड्डा, साहेबगंज
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अरुणाचल: बोमडीला
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असम: कोकराझार, गोलाघाट
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कश्मीर: पुलवामा
इस अभ्यास का उद्देश्य क्या है?
इस मॉक ड्रिल के माध्यम से सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि किसी भी आपात स्थिति में देश की जनता और व्यवस्थाएं प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया दे सकें। हवाई हमले की स्थिति में सायरनों का बजना, लोगों की सुरक्षित निकासी, स्वास्थ्य सेवाओं की तत्परता और प्रशासनिक नियंत्रण की गति – ये सभी पहलुओं की गहराई से समीक्षा की जाएगी।
इस अभ्यास में विशेष तौर पर उन सीमावर्ती राज्यों – जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, गुजरात और हिमाचल प्रदेश – को शामिल किया गया है जो सीधे तौर पर किसी भी सीमा पार आक्रमण का संभावित निशाना हो सकते हैं।
यह कदम देश की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में एक दूरदर्शी पहल के रूप में देखा जाना चाहिए। बीते कुछ वर्षों में देश ने देखा है कि खतरों का स्वरूप बदल चुका है – अब युद्ध सिर्फ सीमाओं पर नहीं, साइबर स्पेस, ऊर्जा संयंत्रों और नागरिक आबादी को लक्षित करके भी लड़े जा सकते हैं। ऐसे में मॉक ड्रिल जैसी तैयारी मात्र दिखावा नहीं, ज़रूरी अभ्यास है।
इस अभ्यास से न केवल सरकारी संस्थाएं बल्कि आम नागरिक भी आपातकालीन स्थितियों के प्रति अधिक जागरूक होंगे, और संकट की घड़ी में घबराने के बजाय सोच-समझकर प्रतिक्रिया दे पाएंगे।
यह सराहनीय है कि सरकार सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा कर रही है। यह राष्ट्र की सुरक्षा-संवेदनशीलता और रणनीतिक परिपक्वता को दर्शाता है।

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