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Saturday, January 11   11:58:25

मासूम बच्ची की दर्दनाक मौत से कांप उठा गांव, स्कूल परिसर में मिली लाश

दाहोद जिले के पिपलिया गांव में गुरुवार शाम को एक छह साल की मासूम बच्ची की दर्दनाक मौत ने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया। बच्ची की लाश गांव के प्राथमिक विद्यालय के परिसर में मिली। यह वही स्कूल था जहां वह कक्षा 1 की छात्रा थी।

सुबह करीब 10 बजे बच्ची स्कूल के लिए घर से निकली थी, लेकिन शाम तक वापस नहीं लौटी। परिवारवालों ने चिंता जताई और उसकी तलाश शुरू की। काफी खोजबीन के बाद, परिजन और अन्य ग्रामीण स्कूल पहुंचे, लेकिन गेट बंद होने के कारण उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया।

अंततः गेट फांदकर जब स्कूल के अंदर देखा गया तो स्कूल भवन के पीछे, परिसर में, बच्ची की लाश पड़ी मिली।इस घटना के बाद परिवार ने तुरंत स्कूल प्रशासन और पुलिस को सूचित किया। दाहोद के पुलिस अधीक्षक राजदीपसिंह ज़ाला और अन्य पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे। साथ ही उपखंड मजिस्ट्रेट और जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी भी जांच के लिए वहां उपस्थित हुए।

प्राथमिक जांच के बाद, पुलिस ने बताया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, बच्ची की मौत दम घुटने से हुई है। हालांकि, आंतरिक अंगों की जांच के बाद विस्तृत पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही है।जिला पंचायत का प्राथमिक शिक्षा विभाग, जो जिले के सरकारी स्कूलों का संचालन करता है, इस मामले की गहन जांच कर रहा है। स्कूल के स्टाफ से पूछताछ भी शुरू हो गई है। इस बात की भी पड़ताल की जा रही है कि स्कूल बंद होने के बाद भी बच्ची का शव परिसर में कैसे नजरअंदाज हो गया।

यह घटना न केवल दिल दहलाने वाली है, बल्कि हमारे समाज और शिक्षा प्रणाली की लापरवाही को भी उजागर करती है। एक मासूम बच्ची, जो शिक्षा के लिए स्कूल गई थी, उसे वहां से मौत मिलना शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। कैसे एक बच्ची पूरे दिन गायब रही और किसी ने उसकी सुध तक नहीं ली? क्या स्कूल स्टाफ की यह जिम्मेदारी नहीं थी कि स्कूल बंद करने से पहले परिसर की ठीक से जांच करें? ऐसे हादसे हमारी प्रशासनिक और सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की ओर ध्यान आकर्षित करते हैं। शिक्षा के मंदिरों को बच्चों के लिए सुरक्षित और संरक्षित बनाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।