26/11 मुंबई हमले के काले पन्ने से आज एक बेहद अहम मोड़ निकलकर सामने आया है — वो मोड़, जो भारत की न्याय प्रणाली, उसकी जांबाज़ जांच एजेंसि और वैश्विक कूटनीति की ताकत को एकसाथ दर्शाता है। अमेरिका की जेल में सालों से बंद तहव्वुर हुसैन राणा, जिसे 26/11 के खूनी हमले का ‘मास्टरमाइंड का साथी’ कहा जाता है, आखिरकार भारत की धरती पर है।
इस ऐतिहासिक कदम के बाद NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) ने उसे 18 दिन की पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। ये सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि न्याय की ओर बढ़ता हुआ एक निर्णायक क़दम है। ये उन 175 परिवारों की चीख का जवाब है, जो आज भी अपने अपनों को खोने की टीस दिल में लिए जी रहे हैं।
कैसे हुआ तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण?
अमेरिका और भारत के बीच कूटनीतिक और कानूनी सहयोग का उदाहरण पेश करते हुए, राणा को विशेष विमान से दिल्ली लाया गया। रात 2 बजे उसे पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया, जहां NIA की ठोस दलीलों के बाद कोर्ट ने उसे 18 दिन की कस्टडी में सौंप दिया।
जब उसे भारत लाया गया, तो तस्वीरों में उसकी कमर और पैरों में लगी जंजीरें साफ़ दर्शाती हैं कि भारत अब आतंक के किसी भी चेहरे को बख्शने वाला नहीं है।
पूछताछ में क्या हो सकता है बड़ा खुलासा?
तहव्वुर राणा वही नाम है, जो डेविड हेडली के साथ मिलकर 26/11 के लिए मुंबई की सड़कों, होटलों और रेलवे स्टेशनों की रेकी कर चुका था। माना जा रहा है कि राणा की जानकारी से:
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लश्कर-ए-तैयबा की आतंकी कार्यप्रणाली
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पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की संलिप्तता
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भारत में मौजूद नेटवर्क्स और स्लीपर सेल्स
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और अब तक के छुपे चेहरे बेनकाब हो सकते हैं।
इस बार NIA की रणनीति बेहद संगठित है — हर सवाल कैमरे में रिकॉर्ड होगा, हर जवाब केस डायरी में दर्ज। पूछताछ एक मिशन की तरह होगी, न कि सिर्फ एक प्रक्रिया।
कौन है तहव्वुर हुसैन राणा?
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पाकिस्तान आर्मी का पूर्व डॉक्टर
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कनाडा का नागरिक
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अमेरिका में इमिग्रेशन कंसल्टेंसी की आड़ में संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त
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शिकागो में FBI के हाथों गिरफ़्तारी
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और अब भारत में उसके गुनाहों का हिसाब…
राणा एक ऐसा मोहरा था जो खुद को खिलाड़ी समझ बैठा, लेकिन अब उसे एक-एक चाल का हिसाब देना होगा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की बड़ी जीत
अमेरिका की अदालतें आमतौर पर किसी संदिग्ध को दूसरे देश को सौंपने में बेहद सख्त होती हैं, लेकिन भारत ने सबूतों, गवाही और तर्कों के दम पर अमेरिका को यह विश्वास दिलाया कि इस केस में न्याय जरूरी है।
ये न सिर्फ कूटनीतिक सफलता है, बल्कि यह संदेश भी है कि भारत अब आतंक के खिलाफ सिर्फ भाषण नहीं देता, कार्रवाई करता है।
ये समय है हर ज़िम्मेदार भारतीय के जागने का
तहव्वुर राणा की गिरफ्तारी और भारत लाना 26/11 के ज़ख्मों पर एक मरहम लगाने की शुरुआत है, लेकिन ये अंत नहीं है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कई मास्टरमाइंड आज भी खुलेआम घूम रहे हैं, और पाकिस्तान आज भी झूठी कहानियों की ढाल लेकर खड़ा है।
भारत को अब इस केस को अंतरराष्ट्रीय मंच पर फिर से जोरदार तरीके से रखना होगा। ये सिर्फ एक आतंकवादी की गिरफ्तारी नहीं, एक राष्ट्र की अस्मिता, उसकी सुरक्षा और उसके लोगों की न्याय की पुकार है।
क्या राणा की गिरफ्तारी से खुलेंगे 26/11 के सारे राज़?
संभव है। यह भी संभव है कि कुछ ऐसे नाम सामने आएं, जिनका अभी तक कोई ज़िक्र ही नहीं हुआ था। तहव्वुर राणा की गिरफ्तारी न्याय की लंबी लड़ाई का एक बड़ा मोड़ है — लेकिन ये लड़ाई अब भी जारी है।

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