भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉक्टर धनंजय चंद्रचूड़ एक कानूनविद होने के साथ-साथ संवेदनशील व्यक्तित्व के भी धनी है, जिसका सुबूत है उनकी गोद ली गई दो दिव्यांग बेटियां।
किसी भी देश की कानून व्यवस्था को सुचारू रखने में सिरमौर होते हैं, न्यायालय और न्यायाधीश। भारत भी ऐसे ही न्यायाधीशों से समृद्ध है। आज हम ऐसे ही न्यायाधीश डॉक्टर धनंजय चंद्रचूड़ की बात कर रहे हैं। अपने लंबे वकालत, विविध हाई कोर्ट्स के न्यायाधीश पद के कार्यकाल के बाद 9 नवंबर 2022 को उन्हें देश के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में देश की राष्ट्रपति महामहिम द्रौपदी मुर्मू ने शपथ दिलवाई। यहां यह उल्लेखनीय है कि उनके पिता वाई. चंद्रचूड़ 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में सबसे लंबे काल तक के लिए इस पद पर कार्यरत रहे थे। 44 साल बाद इसी पद को डॉक्टर धनंजय चंद्रचूड़ शोभायमान कर रहे हैं। संविधान संबंधी कानून के अर्थघटन और उनके आदेश हमेशा बौद्धिको की चर्चा का विषय रहे है।
डॉक्टर चंद्रचूड़ बौद्धिक होने के साथ साथ एक संवेदनशील व्यक्तित्व भी है। उनकी पहली पत्नी रश्मि की वर्ष 2007 में कैंसर के कारण हुई मृत्यु के कुछ वर्षो बाद उन्होंने वकील कल्पना दास से शादी की। पहली पत्नी से दो बेटे हैं, अभिनव और चिंतन।अभिनव मुंबई हाई कोर्ट में वकील है, और चिंतन UK की एक सॉलिसिटर कंपनी में काम करते हैं। उन्होंने दूसरी शादी के बाद दो दिव्यांग बेटियों माही और प्रियंका को गोद लिया। वे इन दोनो बेटियों से बेहद प्यार करते हैं।
वर्ष 2022 में जब उन्होंने महामहिम राष्ट्रपति से CJI पद के लिए शपथ ग्रहण की तब वे इन बेटियों को अपने साथ ले गए थे। इन बेटियों ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही दर्शकदीर्घा में बैठकर देखी। उन्होंने उनको अपना चैंबर, वकीलों के बैठने की जगह समेत सभी जगह उत्साह से दिखाई।
उनकी पत्नी कल्पना दास भी इन बेटियों में ओतप्रोत रहती है। CJI जैसे देश के उच्च पद पर विराजमान होने के बावजूद उन्होंने अपने भावजगत,संवेनशीलता,मानवीय अभिगम को कभी नही छोड़ा देश ऐसे सहृदय न्यायमूर्ति को सलाम करता है।
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