“मैं जला हुआ राख नहीं, अमर दीप हूँ
जो मिट गया वतन पर मैं वो शहीद हूँ”
हर साल शहीद दिवस कई बार मनाया जाता है। इसे मनाने के पीछे का उद्देश्य उन सभी वीरों के बलिदान को याद करना है जिन्होनें देश को आज़ादी दिलाने के लिए अपनी जान दे दी। एक शहीद दिवस गांधीजी की याद में 30 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन नाथुराम गोडसे ने गांधीजी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। और एक शहीद दिवस 23 मार्च को मनाया जाता है। इस दिन स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर को अंग्रेज़ों ने फांसी दे दी थी।
भारत देश तकरीबन 200 सालों तक अंग्रेज़ों की गुलामी करता रहा था। लेकिन फिर एक दिन जब भारतवासियों को होश आया तो उन्होनें देश को आज़ाद करने के लिए प्लानिंग शुरू कर दी। आज़ादी की पहली लड़ाई 1857 में लड़ी गई थी। इसे “First War of Independence” भी कहा जाता है। इस युद्ध के बाद लोगों को आज़ादी के लिए लड़ने का हौंसला मिला। और तब से कई क्रन्तिकारी लोगों के बीच में से सामने आए।
ऐसे ही 3 क्रान्तिकारी थे भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और थापर। यह तीनों बल के साथ आज़ादी लेने में मानते थे। इनके हिसाब से अंग्रेज लातों के भूत थे, जो बातों से नहीं मानते। इसलिए उन्होंने हिंसा का रास्ता अपनाया। भगत सिंह अपने साथियों शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर के साथ अपने साहसिक कारनामों की वजह से देश के युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गए थे।
8 अप्रैल, 1929 को उन्होंने ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा लगाते हुए सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली पर बम फेंके थे। लेकिन, जल्द ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर हत्या का आरोप लगाते हुए फांसी पर चढ़ाने का आदेश दिया गया। 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर को फाँसी दे दी गई।
भगत सिंह और उनके साथी सिर्फ आज़ादी ही नहीं दिलाना चाहते थे, बल्कि वह तो समाज में जो अन्याय और अत्याचार की हदें पार हो गई थी उन्हें भी ख़त्म करना चाहते थे। बता दें कि भगत सिंह अछूत प्रथा के सख्त खिलाफ थे। इसलिए समाज में परिवर्तन लाना भी उनका एक उद्देश्य था। तो उनकी इसी सोच के लिए दुष्यंत कुमार की एक ग़ज़ल के कुछ शेर पेश करते हैं:
हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।आज ये दीवार पर्दों की तरह हिलने लगी
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।हर सड़क पर हर गली में हर नगर हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मिरा मक़्सद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए।
More Stories
Pushpak Express आग घटना में बड़ा खुलासा, जानें किसने फैलाई थी अफवाह !
ट्रम्प के एक फैसले से तनाव में अमेरिकी गर्भवती महिलाएं, समय से पहले डिलीवरी के लिए भाग रहींअस्पताल
Pinkfest 2025: जयपुर में कला, संस्कृति और धरोहर का भव्य उत्सव