संगीत तन मन को प्रफुल्लित करता है।संगीत समग्र सृष्टि में रचा बसा है। आज जब पूरा विश्व अंतर्राष्ट्रीय संगीत दिवस मना रहा है, ऐसे में भारतीय संगीत परंपरा को कैसे भुलाया जा सकता है। आज हम बात करेंगे विश्व संगीत दिवस की।
तो ,आइए आज बात करते है अंतरराष्ट्रीय संगीत दिवस की।आज 21 जून का दिन विश्व में विश्व योग दिवस के साथ-साथ विश्व संगीत दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। सबसे पहले 21 जून 1982 की रोज फ्रांस में लोगों की संगीत के प्रति चाहना को देखते हुए तत्कालीन सांस्कृतिक मंत्री जैक लैंग ने “फेटे ला म्यूजिक” के रूप में संगीत दिवस मनाने की मंजूरी दी। उस समय इस दिवस को 32 देशों ने अपनी मंजूरी दी ।बाद में समग्र विश्व ने इस दिवस को समर्थन दिया, और आज विश्व के करीब 110 देशों में अंतर्राष्ट्रीय संगीत दिवस मनाया जाता है ।इस दिवस को मनाने का उद्देश्य विश्व को वाद्य ,स्वर ,और ध्वनि के माध्यम से जोड़ना है।
संगीत सात सुरों का संगम है।सात सुर मानव मन को एक दूसरे से जोड़ते हैं ।भाषा भले ही ना आती हो ,पर संगीत का आनंद हर कोई उठाता है। हमारे दैनिक जीवन की शुरुआत प्रकृति के संगीत से ही होती है।यह अलग बात है की रोज की आपाधापी में हम इस लुत्फ को नहीं उठाते।सुबह पांच बजते ही ठंडी हवा की सरसराहट,पंछियों का कलरव,पानी की खलखल ध्वनि,हवा में फैली सुबह की सुगंध मन को तरोताजा कर देती है।यह ईश्वर का वरदान नही तो और क्या है?जरूरत है तो सिर्फ सुबह जल्दी उठने की।यह संगीत दिनभर मन को खुश रखता है।
जहा तक भारत की बात है ,तो भारत में तो संगीत वैदिक काल से ही है।कृष्ण की बांसुरी,शिव का डमरू,मां सरस्वती की वीणा को कौन नहीं जानता।आदि देव शिव तो नृत्य के भी देव कहे जाते है।उन्हें नटराज के रूप में नृत्यकार पूजते है।कहा जाता है कि ब्रह्माजी ने नारदजी को संगीत का वरदान दिया था।भारत में वैदिक काल के पूर्व से बहती है संगीत सरिता।संगीत का मूल स्त्रोत वेद है।सामवेद तो संगीत का ही वेद है। वेद की ऋचाएं,मंत्र सभी संगीतबद्ध है।इनमे स्वरों का उतार चढ़ाव है। वैदिक संगीत में भजन और मंत्र गान महत्वपूर्ण है।
संगीत जहां मन को प्रफुल्लित करता है,वही तन को तंदुरुस्त भी रखता है।हर राग का अपना विशेष महत्व है।राग पूरीया धनाश्री अनिद्रा से निजात दिलाता है,तो राग दरबारी कान्हडा और राग मालकौंस तनाव दूर करता है। शिवरंजनी मन को सुख देता है,भैरवी बीपी नियंत्रित रखता है,राग पहाड़ी स्नायु तंत्र, राग तोड़ी सिरदर्द और क्रोध से निजात दिलाता है।ये तो केवल कुछ ही राग की बात है।बाकी हर राग अपने आप में विशिष्ठ है।भारतीय संगीत की उन्नति के इतिहास में स्वामी हरिदास,तानसेन,अमीर खुसरो के नाम सिरमौर है। संगीत सभी के तन मन को स्वस्थ,प्रसन्न रखे यही कामना करते है।
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