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उत्तर प्रदेश से ही तय होता है दिल्ली का रास्ता

एक जमाना था जब बाहुबल के बिना उत्तर प्रदेश में राजनीति करना और सत्ता में आना नामुमकिन सा था, लेकिन दौर बदला और वक्त के साथ चुनावी समीकरण भी बदलते चले गए. कुछ दल जो बाहुबल के नाम पर सरकारें बनाते थे वह दल भी खुद को उनसे अलग करते दिखे तो कुछ दल ऐसे भी आए जिन्होंने अपना चुनावी एजेंडा माफियाओं के खिलाफ ‘कार्रवाई’ ही रखा।

वैसे उत्तर प्रदेश की तहजीब ही ऐसी है कि यहां आने वाला हर कोई यही का होकर रह जाता है यही वजह है कि गैर राज्य के नेताओं को UP की राजनीति खूब रास आती है,यह आज से नहीं आजादी के बाद से चला आ रहा है। हरियाणा के अंबाला की रहने वाली सुचेता कृपलानी उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी थी, वह गोंडा संसदीय सीट से 1967 में कांग्रेस की टिकट पर सांसद चुनी गई। मध्य प्रदेश के अटल बिहारी वाजपेई यूपी में ऐसे रचे बसे कि वह यही के ही होकर रह गए। अटल बिहारी वाजपेई ने बलरामपुर के बाद लखनऊ को अपना राजनीतिक कार्य क्षेत्र बनाया और 1991 से 2004 तक वह लगातार पांच बार सांसद चुने गए।2014 और 2019 में राजनाथ सिंह इसी सीट से सांसद बने और इस बार भी उनकी जीत की हैट्रिक पक्की मानी जा रही है। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने भी अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत यूपी से की। अभिनेत्री जयाप्रदा रामपुर संसदीय सीट से दो बार सांसद चुनी गई। जाट लैंड की माने जाने वाली सीट मथुरा को अभिनेत्री हेमा मालिनी ने 2014 और 2019 में भी जीता और इस बार भी वह मैदान में है।

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गुजरात की राजनीति से निकलकर देश की राजनीति में पहुंचने के बाद UP की वाराणसी सीट से ही चुनाव लड़े और कहा कि मैं आया नहीं हूं मुझे मां गंगा ने बुलाया है उनका यह डायलॉग खूब चला और वाराणसी से 2014 और 2019 में भव्य जीत हासिल की।

एक दौर में उत्तर प्रदेश कांग्रेस का सबसे मजबूत घर हुआ करता था,35 साल यूपी में कांग्रेस की सरकार रही। पंडित नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक पूरा नेहरू गांधी कुनबा यूपी से चुनाव लड़ता और जीतता रहा, 1984 में पार्टी ने 85 में से 83 लोकसभा सीट जीती थी, लेकिन आज 2024 में यूपी में कांग्रेस का एक भी सांसद नहीं बचा, न लोकसभा में ना राज्यसभा में। इस बार उत्तर प्रदेश में कांग्रेस 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है,जो आजादी के बाद सबसे कम है, लेकिन इंडिया गठबंधन के चलते उत्तर प्रदेश में इस बार ज्यादा सीटें मिलने की उम्मीद कांग्रेस पार्टी को जरूर है। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ से लेकर मायावती, मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव समेत के कई नेता मुख्यमंत्री रहे । 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने यहां से 71, मुलायम सिंह यादव ने पांच सीट और कांग्रेस ने दो सीट जीती थी। 2019 में भारतीय जनता पार्टी ने 64 सीट जीती, वही महागठबंधन को 15 और कांग्रेस को 1 सीट मिली।

एक बार फिर लोकसभा चुनाव 2024 का परिणाम आज आ रहा है और नजरें हैं 80 लोक सभा सीटें लिए दिल्ली का रास्ते तय कराने वाले उत्तर प्रदेश पर. 2019 के मुकाबले यूपी के कई समीकरण अब बदल चुके हैं, प्रमुखता से बाहुबल।योगी सरकार ने अपराध और माफिया के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति की बात कही है तो वहीं सपा मुखिया अखिलेश यादव खुद को 2012 में सरकार बनने के बाद और सरकार जाने के बाद भी खुद को और पार्टी को माफियाओं से अलग रखते आए हैं. वो पार्टी की साफ सुथरी छवि की कोशिश में लगे हैं. हालांकि, सपा बाहुबलियों के परिवार को टिकट देती रही है। ऐसे में उत्तर प्रदेश का चुनावी रण बेहद दिलचस्प है और आज यहां कौन बाजी मारेगा उस पर देशभर की नजर है।