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Tuesday, May 6   4:21:08

अहमदाबाद से गरजी कांग्रेस की हुंकार ; क्या मोदी सरकार पर मंडरा रहा है संकट का साया?

साबरमती के तट पर इन दिनों केवल हवा नहीं, बल्कि राजनीतिक तापमान भी उफान पर है। कांग्रेस पार्टी का 84वां राष्ट्रीय अधिवेशन गुजरात की धरती पर जारी है और इसकी गूंज न केवल डोम के भीतर, बल्कि पूरे देश की राजनीति में सुनाई दे रही है। दो दिवसीय इस अधिवेशन का थीम है ‘न्यायपथ: संकल्प, समर्पण और संघर्ष’, जो आज के राजनीतिक हालात में कांग्रेस की दिशा और दशा दोनों को बयां करता है।

इस ऐतिहासिक अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी जैसे वरिष्ठ नेता मंच पर मौजूद रहे, लेकिन प्रियंका गांधी की अनुपस्थिति ने हलचल जरूर पैदा की। देशभर से आए 1700 से अधिक प्रतिनिधि इस अधिवेशन में शामिल हुए, हालांकि शुरुआत में ही कुछ प्रतिनिधियों की झपकती आंखें कैमरों में कैद हो गईं – जो शायद देश के हालात की थकान को दर्शा रही थीं।

खड़गे का तीखा प्रहार: “EVM सरकार का हथियार बन चुकी है”

मंच से बोलते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोला। उन्होंने चुनाव प्रणाली पर सवाल उठाते हुए बैलेट पेपर की मांग की और कहा कि ईवीएम ऐसी तकनीक बन गई है, जिससे विपक्ष को नुकसान और सत्ताधारी दल को फायदा मिलता है।

उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि 150 सीटों पर चुनाव लड़कर 138 पर जीत हासिल करना संदेह पैदा करता है। “हर चोर पकड़ा जाता है, आज नहीं तो कल”, यह वाक्य खड़गे की आत्मविश्वास भरी चेतावनी थी।

“नेहरू ने जो रचा, मोदी उसे मिटाना चाहते हैं”

खड़गे के भाषण में इतिहास और वर्तमान का संघर्ष साफ झलक रहा था। उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र की बिक्री, उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के आरोप और दलितों के साथ भेदभाव की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि “हम भी हिंदू हैं, पर हमारे साथ मंदिरों में पवित्रता के नाम पर भेदभाव क्यों?”

इमरान प्रतापगढ़ी की आवाज में शेर और सच्चाई

राज्यसभा सांसद और युवा नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने अपने भाषण की शुरुआत एक शेर से की—
“ये किसने कहा आपसे आंधी के साथ हूं, मैं गोडसे के दौर में गांधी के साथ हूं।”
उन्होंने अपने संबोधन में राहुल गांधी को “न्याय के योद्धा” बताया और कांग्रेस को प्रेम और संविधान की राह पर चलने वाली पार्टी के रूप में प्रस्तुत किया।

सरकार की आलोचना और सुप्रीम कोर्ट की फटकार

खड़गे ने बेरोजगारी, शिक्षा, जाति जनगणना, और संवैधानिक संस्थाओं के दमन जैसे मुद्दों को उठाते हुए मोदी सरकार पर एक के बाद एक निशाने साधे। उनका कहना था कि मोदी सरकार सिर्फ “पब्लिसिटी” के लिए काम करती है, जबकि देश के बुनियादी मुद्दों को नजरअंदाज कर रही है।

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्यपालों और सरकार को फटकार लगाने की घटनाओं का हवाला देकर कहा कि यह स्पष्ट संकेत है कि मौजूदा शासन संविधान की आत्मा के खिलाफ जा रहा है।

एक नजर मंच की भव्यता पर

साबरमती के किनारे बने इस VVIP डोम की भव्यता भी चर्चा का विषय रही। 3000 लोगों की क्षमता वाले डोम में 300 एसी, 150 लोगों का मंच और लंच के लिए ग्रीनरूम जैसी व्यवस्थाएं की गई थीं।

इस अधिवेशन में कांग्रेस ने सिर्फ अपने भविष्य की रणनीति नहीं बनाई, बल्कि देश को यह संकेत भी दिया कि वह अब निष्क्रिय नहीं रहेगी। खड़गे और अन्य नेताओं का तेवर यह दर्शाता है कि कांग्रेस अब आरोपों के घेरे से निकलकर जवाबी हमला करने को तैयार है।

हालांकि, कुछ भाषणों में वही पुराने सुर भी सुनाई दिए—”हमने 70 सालों में क्या किया”, या “भाजपा सिर्फ गाली देती है”। इन बातों से आगे बढ़कर अगर कांग्रेस ज़मीनी स्तर पर बदलाव लाती है, तो 2027 में गुजरात ही नहीं, पूरे देश में सियासी समीकरण बदल सकते हैं।

कुल मिलाकर, यह अधिवेशन कांग्रेस के लिए संकल्प और संघर्ष का मंच बना, लेकिन अब देखना यह होगा कि इस संघर्ष को जन समर्थन में कैसे बदला जाता है। क्योंकि भाषणों से बदलाव नहीं आते, बदलाव लाने के लिए जमीनी लड़ाई लड़नी होती है।