सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन इस बात का प्रमाण है कि शैक्षणिक कठिनाइयाँ किसी व्यक्ति की महानता की राह में बाधा नहीं बनतीं। उनका प्रारंभिक जीवन संघर्षों से भरा था, लेकिन उन्होंने हर चुनौती का डटकर सामना किया।
शैक्षणिक संघर्ष और आत्मविश्वास
वल्लभभाई पटेल ने अपनी स्कूली शिक्षा नडियाद की सरकारी हाई स्कूल से शुरू की। बाद में, उन्होंने बेहतर अंग्रेज़ी सीखने के उद्देश्य से वडोदरा की एक स्कूल में दाखिला लिया। वहाँ, एक गणित शिक्षक द्वारा बीजगणित के एक प्रश्न को गलत हल करने पर वल्लभभाई ने साहसपूर्वक शिक्षक की गलती को सुधारते हुए स्वयं समाधान प्रस्तुत किया। यह घटना उनके आत्मविश्वास और सत्य के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
हालाँकि, गणित में उनकी रुचि कम थी, जिससे उन्हें मैट्रिक की परीक्षा में एक बार असफलता का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और 1897 में सफलतापूर्वक परीक्षा उत्तीर्ण की।
व्यक्तित्व और नेतृत्व क्षमता
सरदार पटेल का व्यक्तित्व दृढ़, निर्भीक और देशभक्ति से परिपूर्ण था। उनकी बेटी मणिबेन पटेल ने उनके अंतिम क्षणों का वर्णन करते हुए लिखा कि उन्होंने अंतिम समय तक देश की एकता और अखंडता की चिंता की। कवि उमाशंकर जोशी ने भी उनके व्यक्तित्व को शब्दों में पिरोते हुए कहा कि उनके शब्द मात्र शब्द नहीं, बल्कि कार्य थे।
भारत के एकीकरण में योगदान
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, सरदार पटेल ने 565 रियासतों को भारतीय संघ में मिलाने का कठिन कार्य सफलतापूर्वक संपन्न किया। उनके इस योगदान के लिए उन्हें “भारत का लौह पुरुष” और “भारत का बिस्मार्क” कहा जाता है।
सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन हमें सिखाता है कि असफलताएँ सफलता की राह में केवल एक पड़ाव होती हैं। उनके दृढ़ संकल्प, सत्यनिष्ठा और देशभक्ति ने उन्हें भारत के इतिहास में अमर बना दिया। उनकी कहानी आज भी हमें प्रेरणा देती है कि आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

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