मेरठ के बहुचर्चित सौरभ हत्याकांड में एक चौंकाने वाली साजिश का पर्दाफाश हुआ है। इस मर्डर केस में मुख्य आरोपी मुस्कान और उसके प्रेमी साहिल ने मिलकर अपने नापाक इरादों को अंजाम दिया।
मृत मां के नाम पर फर्जी अकाउंट और कुटिल साजिश
मुस्कान ने अपने पति सौरभ को रास्ते से हटाने के लिए महीनों तक एक चालाकी भरी साजिश रची। उसने साहिल की मृत मां और बहन के नाम से स्नैपचैट अकाउंट बनाए और लगातार उसे मैसेज भेजे। इन मैसेज में लिखा होता, “सौरभ का वध करो, तभी मेरी आत्मा को शांति मिलेगी।” कर्मकांड में विश्वास रखने वाले साहिल को यह बातें सच लगने लगीं और उसने मुस्कान के इशारों पर चलना शुरू कर दिया।
प्रेम के नाम पर षड्यंत्र
मुस्कान के लिए सौरभ महज एक बाधा था। तलाक की जगह उसने हत्या का रास्ता चुना। पुलिस जांच में पता चला कि मुस्कान ने नवंबर 2024 से ही हत्या की योजना बनानी शुरू कर दी थी। साहिल को मानसिक रूप से प्रभावित करने के लिए वह बार-बार मृत आत्मा के नाम से उसे मैसेज भेजती रही।
हत्याकांड की रात: प्रेम के पर्दे में खून
3 मार्च की रात मुस्कान ने साहिल के साथ मिलकर अपने पति सौरभ की हत्या कर दी। नींद की गोलियां खिलाकर उसे बेसुध किया गया और फिर निर्दयता से चाकू घोंपकर उसकी जान ले ली गई। शव के टुकड़े-टुकड़े करके उसे ड्रम में सीमेंट से भर दिया गया, ताकि किसी को संदेह न हो। हत्या के बाद दोनों हिमाचल प्रदेश में घूमने चले गए, जहां उन्होंने होली का जश्न मनाया।
कहानी में मोड़: कबूलनामा और गिरफ्तारी
हत्या के बाद भी मुस्कान खुद को बचाने के लिए सौरभ के नाम से फर्जी पोस्ट करती रही, ताकि लगे कि वह जिंदा है। लेकिन जब पुलिस ने गहराई से जांच की, तो मुस्कान की कुटिल साजिश उजागर हो गई। 18 मार्च को उसने थाने में हत्या की बात कबूल कर ली। इसके बाद पुलिस ने साहिल को भी गिरफ्तार कर लिया।
न्याय की प्रतीक्षा और समाज के लिए सबक
यह घटना समाज के लिए एक कड़ा सबक है। प्रेम और विश्वास का नाम लेकर किसी को मानसिक रूप से नियंत्रित करना और हत्या जैसा जघन्य अपराध अंजाम देना निंदनीय है। यह केवल सौरभ की हत्या नहीं थी, बल्कि मानवता और विश्वास की भी हत्या थी।
अपराध का मनोविज्ञान और समाज की जिम्मेदारी
इस केस में सबसे बड़ा सवाल यह है कि किस तरह भावनात्मक कमजोरी और अंधविश्वास का फायदा उठाकर एक निर्दोष व्यक्ति की जान ले ली गई। समाज को इस तरह की घटनाओं से सीख लेनी चाहिए और युवाओं को मानसिक स्वास्थ्य, तर्कशीलता और भावनात्मक परिपक्वता के प्रति जागरूक बनाना चाहिए।
आखिर में, सौरभ को न्याय दिलाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। कानून को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस निर्मम हत्या के गुनहगारों को कठोरतम सजा मिले।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्यार और विश्वास की आड़ में रची गई साजिशें केवल तबाही लाती हैं। सचमुच, मासूमियत का मुखौटा जब गिरता है, तो उसके पीछे छिपी क्रूरता का चेहरा डरावना होता है।

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