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कड़कड़ाती ठंड का कहर! 72 घंटे में 29 मौतें, 17 राज्यों में कोल्ड वेव अलर्ट

उत्तर भारत समेत देश के कई हिस्सों में कड़ाके की ठंड ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में भारी बर्फबारी के चलते ठिठुरन बढ़ गई है, वहीं मैदानी इलाकों में कोल्ड वेव का कहर जारी है। उत्तर प्रदेश में पिछले 72 घंटे में ठंड के कारण 29 लोगों की जान चली गई। देश के 17 राज्यों में घने कोहरे ने दृश्यता को शून्य तक पहुंचा दिया, जिससे यातायात व्यवस्था भी प्रभावित हुई।

उत्तर भारत में बढ़ती ठंड, यूपी में जानलेवा स्थिति

उत्तर प्रदेश में ठंड से होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बीते 24 घंटे में ही चार और लोगों ने दम तोड़ दिया। राज्य के 16 जिलों में कोल्ड डे का अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग के अनुसार, अगले 48 घंटे में ठंड और घने कोहरे का प्रकोप जारी रहेगा। इसके अलावा, दो दिनों में कई इलाकों में बारिश और ओलावृष्टि की संभावना भी जताई गई है।

राजस्थान और मध्य प्रदेश में तापमान 10 डिग्री से नीचे

राजस्थान और मध्य प्रदेश के 35 शहरों में न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे पहुंच गया है। राजस्थान के नागौर में पारा गिरकर 2.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। ठंडी हवाओं ने लोगों को घरों में दुबकने पर मजबूर कर दिया है। वहीं, मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल में शीतलहर चल रही है और आने वाले दिनों में स्थिति और खराब होने की आशंका जताई गई है।

तमिलनाडु के ऊटी में तापमान 0 डिग्री, एवलांच ने बढ़ाई मुश्किलें

ठंड का असर दक्षिण भारत में भी देखा जा रहा है। तमिलनाडु के प्रसिद्ध हिल स्टेशन ऊटी (उदगमंडलम) में तापमान 0 डिग्री सेल्सियस तक लुढ़क गया। इसके अलावा, एवलांच आने से कंथल और थलाईकुंठा जैसे इलाकों में बर्फ जम गई है, जिससे स्थानीय लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

दिल्ली-एनसीआर में कोहरे का आतंक, ट्रेनें-फ्लाइट्स लेट

राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में कोहरे की वजह से हालात बिगड़ गए हैं। बुधवार सुबह कई इलाकों में दृश्यता शून्य तक पहुंच गई, जिससे हवाई और रेल यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ। कोहरे की वजह से कई ट्रेनों और फ्लाइट्स में घंटों की देरी हो रही है, जिससे यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

आने वाले दिनों में कैसा रहेगा मौसम?

मौसम विभाग के अनुसार, अगले दो दिनों में उत्तर भारत में ठंड का प्रकोप और बढ़ेगा।

  • 9 जनवरी: उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और बिहार में घना कोहरा रहेगा। उत्तर प्रदेश में कोल्ड वेव का अलर्ट जारी किया गया है और तापमान में 2 डिग्री तक गिरावट आ सकती है। वहीं, पूर्वोत्तर भारत के अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, असम, मेघालय, नगालैंड, मणिपुर और त्रिपुरा में बिजली गिरने की संभावना है।
  • 10 जनवरी: बिहार, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, असम, मेघालय, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में घना कोहरा रहेगा। मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में शीतलहर चलने का अनुमान है। दक्षिण भारत में भी कुछ जगहों पर बारिश हो सकती है।

राज्यों में ठंड का असर

  • मध्य प्रदेश: बर्फीली हवाओं के कारण भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और उज्जैन में तापमान 2-3 डिग्री नीचे गिर गया है।
  • राजस्थान: 8 जिलों में शीतलहर का अलर्ट, न्यूनतम तापमान 10 डिग्री से नीचे। मकर संक्रांति से पहले बारिश की संभावना।
  • छत्तीसगढ़: रायपुर समेत कई जिलों में ठंड थोड़ी कम हुई, लेकिन अगले दो दिनों में पारा 2 डिग्री तक गिर सकता है।
  • हरियाणा: 5 जिलों में घना कोहरा, 3 दिनों के लिए ठंड का डबल अटैक अलर्ट जारी।
  • हिमाचल प्रदेश: शीतलहर और घने कोहरे का अलर्ट, 11 जनवरी से फिर भारी बर्फबारी की संभावना।
  • पंजाब: चंडीगढ़ समेत 12 जिलों में शीतलहर का अलर्ट, घने कोहरे से विजिबिलिटी 50 मीटर से कम हो सकती है।

क्या सरकार कर रही है ठंड से बचाव के प्रयास?

उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में सरकार ने रैन बसेरों की व्यवस्था की है, लेकिन ठंड से हो रही मौतों से साफ है कि ये उपाय पर्याप्त नहीं हैं। खासतौर पर बेघर और गरीब तबके के लोगों के लिए यह मौसम जानलेवा साबित हो रहा है। प्रशासन को चाहिए कि वह खुले आसमान के नीचे रहने वालों के लिए ज्यादा से ज्यादा गर्म कपड़े, कंबल और राहत सामग्री उपलब्ध कराए।

हर साल की तरह इस बार भी कड़ाके की ठंड ने जानलेवा रूप ले लिया है, और प्रशासन की तैयारियां नाकाफी साबित हो रही हैं। गरीब और बेघर लोग इस आपदा का सबसे बड़ा शिकार बनते हैं। जरूरत है कि सरकार और समाज मिलकर ऐसे लोगों की मदद के लिए आगे आएं। बड़े शहरों में कंबल वितरण, अलाव की व्यवस्था और रैन बसेरों की संख्या बढ़ाने की सख्त जरूरत है।

जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम का मिजाज भी अब अधिक अस्थिर हो गया है। ठंड और गर्मी दोनों अब ज्यादा चरम पर जाने लगे हैं। ऐसे में हमें अपने समाज के कमजोर तबके की मदद के लिए व्यक्तिगत स्तर पर भी योगदान देना चाहिए।