आज जिस तरह से मानव विकास कर रहा है,वह अपने विकास की जिद्द में पर्यावरण का ह्रास कर रहा है।पर्यावरणविद चाहे कितना भी चिल्लाए, किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगती।आज पेड़ो की संख्या जिस तरह घट रही है,यह एक बहुत बड़ा चिंता का विषय है।
समग्र सृष्टि का जीवन है प्राणवायु,और इस प्राणवायु का स्रोत है हरे भरे पेड़।लेकिन इनकी कद्र न कर इंसान ने जिस तरह से आधुनिकीकरण के साथ विकास के नाम पर छलांग भरी है,और बेतहाशा पेड़ों की कटाई की जा रही है,और कंक्रीट के जंगल खड़े होने लगे है,वो दिन दूर नही जब ऑक्सीजन के सिलेंडर कंधे पर लादे हुए लोग नजर आएंगे। खत्म हो रहे जंगल के कारण प्रकृति संतुलन बिखर रहा है।मौसम अपना मूड खो रहा है। क्या आप जानते हैं…! विश्व में पेड़ो की संख्या कितनी घटती जा रही है?
रीडर्स डाइजेस्ट अब तो बंद हो चुका है ,पर इसमें छपी रिपोर्ट के अनुसार जर्नल मैगजीन नेचर में छपी एक रिपोर्ट छपी थी, जिसमें कहा गया है की विश्व में पेड़ों की संख्या 3.04 ट्रिलियन यानि 34 खरब पेड़ है,और यह पेड़ अमेजॉन के जंगल में 9.8 मिलियन वर्ग किलो मीटर में फैले है।अब इनकी भी संख्या घट रही है।ग्लोबल वार्मिंग के कारण जंगलों में लगती आग के कारण भी पेड़ नष्ट हुए है। यूरोप एक समय जंगलों से भरा पूरा था, आज वहां अधिकतर खेत खलिहान बन गए है।
हर साल विश्व में 15 करोड़ पेड़ काटे जाते है,जिनके सामने केवल 500 करोड़ पेड़ भी मुश्किल से लगाए जाते हैं।पेड़ों की बेतहाशा कटाई के कारण बढ़ रहे ग्लोबल वार्मिंग की वजह से सूर्य की अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचाने वाले सुरक्षा कवच में भी छेद हो गए है।प्रदूषण वृद्धि, कार्बनडाईऑक्साइड की बढ़ती मात्रा इसके मुख्य कारण है।
विश्व में 73000 विविध पेड़ो की प्रजातियां है,जिनमें से 9000 प्रजातियां तो ऐसी हैं, जिनके बारे में विज्ञान भी आज तक अज्ञान में है। इनमें 8200 प्रजातियां ऐसी है जो दुर्लभ है।आज जंगलों की कटाई के कारण ये प्रजातियां भी विलुप्ति की कगार पर है।अमेरिका में प्रति वर्ग किलोमीटर 11,109 पेड़ है, यानि प्रति व्यक्ति 699 पेड़ हुए।वही भारत में प्रति व्यक्ति सिर्फ 22 पेड़ है,जो भारतवासियों के लिए चुनौती है।
क्या आप जानते है, वर्ष 2050 में पृथ्वी पर पेड़ो की संख्या घटकर 2.5 ट्रिलियन पेड़ ही रह जायेंगे। विश्व में रूस में सबसे अधिक पेड़ है,यानी रूस के जंगल क्षेत्र का आकार 8249300 वर्ग किलो मीटर है।जबकि कतर विश्व का ऐसा देश है, जहां पेड़ ही नहीं है।ये सही मायनो में रेगिस्तान है।
दुनिया में 5 जून का दिन विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है।इस दिन एक दिन के लिए पर्यावरण,वृक्षारोपण के प्रति एक विशाल ज्वार उठता है,और शाम होते होते यह ज्वार भाटे में तब्दील हो जाता है।ये एक दिन का नही निरंतर करने की प्रक्रिया है।तभी शायद हम इस धरती,इन पेड़ो और भूगर्भ जल।को बचा पायेंगे। वरना आने वाली पीढ़ी के लिए ये हरी भरी धरती,ये पेड़ ,कलकल बहती झरने, नदियां केवल तस्वीरों में ही छोड़ जायेंगे।अभी भी वक्त है,सोचिए और इस धरती के श्रृंगार को बचाने में जुट जाइए,तब हिंसाही।कायनो।के विश्व पर्यावरण दिवस मना पायेंगे।
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