संसद में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद, नक्सलवाद और अलगाववाद भारत के लिए सबसे बड़ी सुरक्षा चुनौतियां हैं। उन्होंने दावा किया कि पिछले 10 वर्षों में भारत ने इन खतरों से मजबूती से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। लेकिन क्या ये प्रयास पर्याप्त हैं? क्या भारत पूरी तरह से आतंकवाद और नक्सलवाद को खत्म कर पाया है?
आतंकवाद: भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा
भारत दशकों से आतंकवाद से जूझ रहा है, खासकर जम्मू-कश्मीर, पंजाब और उत्तर-पूर्वी राज्यों में। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद ने देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा किया है।
कुछ प्रमुख आतंकवादी घटनाएं:
2001 संसद हमला: आतंकवादियों ने लोकतंत्र की नींव को हिला देने की कोशिश की।
2008 मुंबई हमला: 160 से अधिक निर्दोष लोग मारे गए।
2019 पुलवामा हमला: आत्मघाती हमले में 40 से अधिक सीआरपीएफ जवान शहीद हुए।
इन घटनाओं के बाद भारत सरकार ने कड़ी कार्रवाई की और सर्जिकल स्ट्राइक व एयर स्ट्राइक जैसे कदम उठाए।
नक्सलवाद: आंतरिक विद्रोह की समस्या
नक्सलवाद भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ है। झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में यह समस्या आज भी बनी हुई है।
कुछ प्रमुख नक्सली घटनाएं:
2010 दंतेवाड़ा हमला: 76 जवान शहीद हुए।
2013 झीरम घाटी हमला: कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला।
2021 बीजापुर हमला: 22 जवान शहीद हुए।
सरकार ने ऑपरेशन ग्रीन हंट के तहत नक्सल प्रभावित इलाकों में कड़ी कार्रवाई की है, लेकिन समस्या पूरी तरह खत्म नहीं हुई है।
सरकार के कदम और सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका
सरकार ने आतंकवाद और नक्सलवाद से निपटने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं:
आतंकवाद विरोधी कानून: UAPA और NIA एक्ट के जरिए सख्ती बढ़ाई गई।
सुरक्षा बलों की तैनाती: CRPF, NSG, और ITBP को संवेदनशील इलाकों में तैनात किया गया।
विकास योजनाएं: नक्सल प्रभावित इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर बढ़ाए जा रहे हैं।
क्या भारत इन चुनौतियों से निपटने में सफल हुआ है?
पिछले कुछ वर्षों में आतंकवादी और नक्सली घटनाओं में कमी आई है, लेकिन खतरा अभी भी बरकरार है।
प्रमुख चुनौतियां:
आतंकवाद का अंतरराष्ट्रीय समर्थन
सीमाओं पर सुरक्षा कमजोरियां
नक्सलवाद के लिए स्थानीय समर्थन
संभावित समाधान:
सीमाओं की कड़ी सुरक्षा
स्थानीय लोगों को रोजगार और शिक्षा के बेहतर अवसर
आधुनिक तकनीकों और खुफिया तंत्र को मजबूत करना
क्या आतंकवाद और नक्सलवाद पूरी तरह खत्म हो सकते हैं.?
भारत सरकार लगातार आतंकवाद और नक्सलवाद के खिलाफ सख्त कदम उठा रही है, लेकिन इन समस्याओं का स्थायी समाधान केवल सैन्य कार्रवाई से संभव नहीं। जब तक सामाजिक और आर्थिक असमानता दूर नहीं होगी, तब तक ये चुनौतियां बनी रहेंगी।
आपका क्या विचार है?
क्या भारत 2030 तक आतंकवाद और नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त हो सकता है.?

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