28 मार्च 2025 को म्यांमार के सगाइंग क्षेत्र में आए 7.7 तीव्रता के भूकंप ने देश को गहरे सदमे में डाल दिया है। इस आपदा में 1,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई है और हजारों घायल हुए हैं। भूकंप के कारण कई मस्जिदें, इमारतें, सड़कें और पुल ध्वस्त हो गए हैं, जिससे व्यापक स्तर पर विनाश हुआ है।
म्यांमार की सैन्य सरकार के अनुसार, इस भूकंप में 3,400 से अधिक लोग घायल हुए हैं और 300 से अधिक लोग लापता हैं। भूकंप का केंद्र सगाइंग क्षेत्र में था, लेकिन इसके झटके थाईलैंड, चीन और भारत तक महसूस किए गए, जिससे इन देशों में भी हलचल मची।
अंतरराष्ट्रीय सहायता और राहत प्रयास
भारत ने ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत म्यांमार को राहत सामग्री भेजी है। भारतीय नौसेना के जहाज INS सतपुड़ा और INS सावित्री ने 40 टन राहत सामग्री यांगून बंदरगाह पर पहुंचाई है। इसके अलावा, आगरा से 118 सदस्यीय फील्ड हॉस्पिटल यूनिट मांडले शहर में राहत कार्यों में जुटी है।
संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार को 5 मिलियन डॉलर (लगभग 43 करोड़ रुपये) की आपातकालीन सहायता प्रदान की है। रूस, चीन, सिंगापुर और मलेशिया सहित कई देशों ने भी बचावकर्मियों और आवश्यक सामग्री के साथ सहायता भेजी है।
भूकंप का भूगर्भीय कारण
म्यांमार में सगाइंग फॉल्ट नामक भूगर्भीय दरार है, जो उत्तर से दक्षिण तक 1,400 किमी तक फैली हुई है। यह दरार भारतीय और बर्मा प्लेटों के बीच की सीमा को चिह्नित करती है, जहां टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों के कारण भूकंप आते हैं। इस क्षेत्र में पहले भी 1930, 1946 और 2012 में बड़े भूकंप आ चुके हैं।
म्यांमार में आई इस भयानक आपदा ने एक बार फिर दिखाया है कि प्राकृतिक आपदाओं के प्रति हमारी तैयारी कितनी महत्वपूर्ण है। भूकंप जैसे विनाशकारी घटनाओं से निपटने के लिए मजबूत अवसंरचना, आपदा प्रबंधन योजनाएं और अंतरराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक हैं। इस त्रासदी में प्रभावित लोगों के प्रति हमारी संवेदनाएं हैं, और हम आशा करते हैं कि म्यांमार जल्द ही इस संकट से उबर पाएगा।

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