Tattoo: फैशन की दुनिया में रोज़ नए ट्रेंड आते और जाते रहते हैं, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जो समय की कसौटी पर खरे उतरते हैं और लगातार लोकप्रिय होते जाते हैं। ऐसा ही एक ट्रेंड है टैटू बनवाने का। पिछले कुछ सालों में टैटू बनवाने का चलन तेजी से बढ़ा है, लेकिन यह सोचना गलत होगा कि यह कोई नया फैशन है। वास्तव में, टैटू का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि मानव सभ्यता का विकास।
अगर इतिहास की बात करें तो टैटू की परंपरा सैकड़ों नहीं, बल्कि हजारों साल पुरानी है। माना जाता है कि हड़प्पा सभ्यता में भी टैटू गुदवाने की परंपरा थी। भारत में, विशेष रूप से आदिवासी समुदायों में, टैटू को एक सांस्कृतिक पहचान के रूप में देखा जाता है। गुजरात में इसे छूंदणा कहा जाता है, तो उत्तर भारत में इसे गोदना के नाम से जाना जाता है। छत्तीसगढ़ के आदिवासी इसे खोदा कहते हैं।
आज भी, कई आदिवासी समुदायों में महिलाएं और पुरुष अपने शरीर पर टैटू गुदवाते हैं। छत्तीसगढ़ की बैगा जनजाति की महिलाओं के शरीर पर कई टैटू होते हैं। मध्य प्रदेश की ओझा, बदनी और देवरा जनजातियों में भी टैटू बनवाने की परंपरा गहरी जड़ें जमाए हुए है।
आदिवासी समुदायों में टैटू का आध्यात्मिक महत्व
आदिवासी समुदायों में टैटू सिर्फ एक सजावट नहीं, बल्कि एक गहरी आध्यात्मिक आस्था से जुड़ा हुआ है।
- छत्तीसगढ़ के लोग मानते हैं कि मृत्यु के बाद सिर्फ टैटू ही उनके साथ जाता है, बाकी सारी चीजें दुनिया में ही छूट जाती हैं।
- भिल समुदाय का मानना है कि टैटू बीमारियों से मुक्ति दिलाते हैं।
- गोंड जनजाति के अनुसार, आपकी बाकी चीजें चोरी हो सकती हैं, लेकिन आपका टैटू नहीं।
भारत के उत्तरी से लेकर दक्षिणी हिस्से तक, टैटू से जुड़ी विभिन्न सामाजिक और आध्यात्मिक मान्यताएँ देखने को मिलती हैं।
आधुनिक युग में टैटू का बदलता स्वरूप
अगर वर्तमान समय की बात करें तो टैटू फैशन इंडस्ट्री का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। कोरोना काल के दौरान, जब लोग घर में बंद थे, तब कई लोगों ने नए हुनर सीखने की कोशिश की। फाइन आर्ट्स के छात्रों ने टैटू मेकिंग में ख़ास रुचि दिखाई और अब यह एक बड़े उद्योग के रूप में उभर चुका है। पहले, टैटू आर्टिस्ट खोजना मुश्किल था, लेकिन अब हर छोटे-बड़े शहर में टैटू स्टूडियो खुल चुके हैं।
टैटू के बदलते डिजाइन और उपयोग
पहले जहां टैटू सिर्फ सजावट और परंपरा का हिस्सा थे, वहीं अब लोग अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिए भी टैटू बनवाने लगे हैं।
- नाम और कोट्स: लोग अपने माता-पिता, जीवनसाथी, बच्चों या प्रियजनों के नाम टैटू करवाते हैं।
- धार्मिक और आध्यात्मिक टैटू: कई लोग देवी-देवताओं के टैटू भी बनवाते हैं।
- कॉस्मेटिक टैटू: आजकल लोग परमानेंट आईब्रोज़ और हेयर टैटू भी करवाते हैं, जिससे झड़ते बालों को छिपाया जा सके।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अब कुछ लोग अपनी आंखों के सफेद हिस्से में भी रंग भरवाने लगे हैं, ताकि उनकी आंखों का रंग बदल सके, हालांकि यह एक खतरनाक प्रक्रिया है।
टैटू बनवाने से पहले ध्यान देने योग्य बातें
टैटू बनवाने का ट्रेंड जितना बढ़ रहा है, उतनी ही सावधानी भी जरूरी है। टैटू आर्टिस्ट सलाह देते हैं कि टैटू बनवाने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार कर लेना चाहिए।
- कई बार लोग दूसरों को देखकर या सोशल मीडिया ट्रेंड के चलते बिना सोचे-समझे टैटू बनवा लेते हैं, लेकिन बाद में पछताते हैं।
- सरकारी नौकरियों में कई बार टैटू समस्या बन सकता है, इसलिए इसे बनवाने से पहले नियमों को जान लेना जरूरी है।
- कुछ टैटू आर्टिस्ट ग्राहकों की भावनाओं को समझकर उन्हें टैटू न बनवाने की भी सलाह देते हैं।
टैटू सिर्फ एक फैशन स्टेटमेंट नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और भावनाओं की अभिव्यक्ति का एक माध्यम है। जहां एक ओर यह आदिवासी समाज की गहरी मान्यताओं से जुड़ा है, वहीं दूसरी ओर आधुनिक युग में इसकी परिभाषा बदल रही है। टैटू बनवाने से पहले उसकी लंबी अवधि के प्रभावों पर विचार करना जरूरी है, क्योंकि इसे हटवाना बनवाने से ज्यादा मुश्किल होता है।
तो, अगर आप भी टैटू बनवाने का सोच रहे हैं, तो पहले खुद से पूछिए – “क्या यह टैटू वाकई मेरी पहचान का हिस्सा बनेगा, या यह सिर्फ एक ट्रेंड फॉलो करने की कोशिश है?”
More Stories
नागपुर हिंसा पर ओवैसी ने सरकार को ठहराया जिम्मेदार, बताया इंटेलिजेंस फेलियर
Grok AI ने खोली ढोल की पोल ; मस्क के Chatbot ने उड़ाए सियासी होश!
वडोदरा में 11 साल की बच्ची के साथ शिक्षक की शर्मनाक हरकत, मां ने दर्ज करवाई शिकायत