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Tuesday, March 4   4:55:30

टैरिफ युद्ध शुरू: कनाडा के बाद चीन ने भी अमेरिका पर किया पलटवार, अब ट्रंप क्या करेंगे?

अमेरिका द्वारा चीन पर 20% टैरिफ लगाने के बाद, चीन ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर 10% से 15% तक टैरिफ लगाने की घोषणा की है। यह टैरिफ 10 मार्च से लागू होगा। चीन ने वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) के समक्ष ट्रंप की टैरिफ नीति के खिलाफ शिकायत भी दर्ज करवाई है। इस बारे में जानकारी चीन के वित्त मंत्रालय ने दी।

चीन के वित्त मंत्रालय ने बताया कि यह टैरिफ अमेरिका से आयात होने वाले गेहूं, मक्का, कपास समेत प्रमुख अमेरिकी उत्पादों पर लागू होगा। इस फैसले से दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच ट्रेड वॉर शुरू हो गया है। चीन का यह निर्णय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन पर 20% टैरिफ लगाने के आदेश के बाद लिया गया है। अमेरिका से आयात होने वाले गेहूं, मक्का और कपास पर 15% टैरिफ, जबकि ज्वार, सोयाबीन, फल, सब्जियां और डेयरी समेत अन्य उत्पादों पर 10% टैरिफ लगाया जाएगा।

दुनिया में ट्रेड वॉर छिड़ा

अमेरिका ने आज से कनाडा, मैक्सिको और चीन से आयात पर टैरिफ लगाया है, जिसके तुरंत बाद इन देशों ने भी जवाबी टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी। कनाडा ने भी अमेरिका के 125 अरब डॉलर के उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। वहीं, मैक्सिको भी ठोस कदम उठाते हुए टैरिफ लगाएगा। ट्रंप की टैरिफ नीति से दुनिया भर में ट्रेड वॉर छिड़ गया है। अमेरिका ने चीन के उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाकर दोगुना कर दिया है।

ट्रंप का मानना है कि टैरिफ देश की समस्याओं को सुलझा सकता है, लेकिन इससे दुनिया भर में महंगाई बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इस नीति से वैश्विक बाजारों पर नकारात्मक असर पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि ट्रंप 2 मार्च से पारस्परिक टैरिफ (Reciprocal Tariff) भी लागू करेंगे। ट्रंप ने कहा कि टैरिफ एक शक्तिशाली हथियार है, जिसका उपयोग नेताओं ने नहीं किया क्योंकि वे “मूर्ख” या “बेईमान” थे।

अमेरिका की 25 कंपनियों पर प्रतिबंध

टैरिफ के अलावा, चीन ने अमेरिका की 25 कंपनियों पर निर्यात और निवेश प्रतिबंध भी लगाया है। चीन ने कहा कि “राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में” यह प्रतिबंध लगाया गया है। ये कंपनियां ताइवान को हथियार बेचती हैं। चीन ने अमेरिका पर दुनिया की सबसे सख्त एंटी-ड्रग पॉलिसी होने और फेंटानाइल को लेकर ब्लैकमेल करने का भी आरोप लगाया है।

दूसरी तरफ, विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी अधिकारी चाहते हैं कि ट्रंप प्रशासन बातचीत के जरिए इस टैरिफ विवाद को सुलझाए। लेकिन ट्रंप किसी की बात सुनने को तैयार नहीं दिख रहे हैं।