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Wednesday, March 12   5:01:42

गुजरात में तांत्रिक का खूनी तांडव , 5 साल की मासूम को उतारा मौत के घाट ;पूरा मामला जानकर रह जाएंगे दंग…

गुजरात में दिल दहला देने वाली वारदात, तांत्रिक ने कुल्हाड़ी से बच्ची का गला काटा, खून से लथपथ हुआ मंदिर

क्या 21वीं सदी में भी हमारा समाज अंधविश्वास और कुरीतियों की बेड़ियों में जकड़ा हुआ है? क्या विज्ञान और शिक्षा के बढ़ते कदम मानवता को बचाने में नाकाम साबित हो रहे हैं? गुजरात के छोटा उदेपुर जिले से सामने आई इस हृदयविदारक घटना ने एक बार फिर इन सवालों को हवा दे दी है। एक तांत्रिक ने पांच साल की मासूम बच्ची को मौत के घाट उतार दिया, वह तड़पती रही, चिल्लाती रही, लेकिन वहशियाना तंत्र-मंत्र के जुनून में डूबे हत्यारे ने उसे निर्दयता से मार डाला। हत्या के बाद उसने बच्ची के खून को अपने घर के मंदिर में छिड़क दिया, मानो यह कोई तांत्रिक अनुष्ठान था!

खेलते-खेलते मौत के मुंह में समा गई मासूम

सोमवार सुबह 5 साल की सीता अपने घर के बाहर खेल रही थी। उसकी मां और भाई पास में ही थे, तभी पड़ोसी लालाभाई तड़वी जो कि तंत्र-मंत्र की काली दुनिया में डूबा हुआ था, वहां आया और बच्ची को जबरन अपने घर खींच ले गया। डरी हुई बच्ची बचाने की गुहार लगाती रही। उसकी चीखें सुनकर मां और पड़ोसी दौड़े, लेकिन लालाभाई के हाथ में कुल्हाड़ी देखकर सब सहम गए। किसी की हिम्मत नहीं हुई कि वे बच्ची को बचाने के लिए आगे आएं। और फिर जो हुआ, उसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया!

मंदिर बना खूनी तंत्र साधना का अड्डा!

तांत्रिक लालाभाई तड़वी ने निर्दयता से बच्ची की गर्दन पर कुल्हाड़ी से वार किया। उसकी मासूम सांसें वहीं थम गईं। घर का हर कोना खून से सन गया। लेकिन उस दरिंदे की पिशाचीय प्रवृत्ति यहीं नहीं थमी। उसने मंदिर की सीढ़ियों पर बच्ची का खून छिड़क दिया। यह दृश्य देखकर गांव के लोग कांप उठे। यह हत्या किसी मानसिक विकृति का नतीजा थी या फिर कोई रचित तांत्रिक अनुष्ठान? पुलिस अब इसकी जांच कर रही है।

पुलिस की जांच में मानव बलि की आशंका

घटना की जानकारी मिलते ही बोडेली पुलिस मौके पर पहुंची और आरोपी लालाभाई तड़वी को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस की शुरुआती जांच में यह स्पष्ट हुआ कि यह घटना मानव बलि से जुड़ी हो सकती है। छोटा उदेपुर के एएसपी गौरव अग्रवाल ने भी आशंका जताई कि यह अंधविश्वास से जुड़ा एक घिनौना अपराध है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या आरोपी अकेले इस अपराध में शामिल था या इसके पीछे कोई बड़ा तांत्रिक गिरोह काम कर रहा है?

21वीं सदी में भी तंत्र-मंत्र की बर्बरता! आखिर कब जागेगा समाज?

यह घटना सिर्फ एक हत्या नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक करारा तमाचा है। आखिर कब तक अंधविश्वास के नाम पर मासूमों की बलि चढ़ती रहेगी? कब तक लोग तंत्र-मंत्र के नाम पर वहशियाना हरकतें करते रहेंगे?

छोटा उदेपुर, जहां यह घटना हुई, एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है, जहां आज भी अंधविश्वास की गहरी जड़ें हैं। कई बार पहले भी इस क्षेत्र से तंत्र-मंत्र के नाम पर हत्याओं और अनुष्ठानों की खबरें सामने आई हैं। सवाल यह उठता है कि क्या कानून इस प्रकार की घटनाओं को रोकने में नाकाम साबित हो रहा है? आखिर क्यों सरकार और प्रशासन ऐसी कुप्रथाओं को खत्म करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे?

अब जागरूकता की जरूरत, नहीं तो और मासूम चढ़ेंगे बलि चढ़ाने वालों के हत्थे!

इस घटना ने हमारे समाज की कमजोरियों को उजागर कर दिया है। सिर्फ कानून बनाने से कुछ नहीं होगा, जरूरत इस बात की है कि लोग शिक्षित हों, जागरूक हों और इस तरह के अंधविश्वासों से खुद को बचाएं। यह सिर्फ एक बच्ची की हत्या नहीं थी, यह इंसानियत की हत्या थी, हमारी सामाजिक चेतना की हत्या थी।

आज यह सवाल सिर्फ गुजरात का नहीं है, बल्कि पूरे देश का है—क्या हम 21वीं सदी में भी ऐसे नरभक्षी सोच वाले लोगों को खुला छोड़ते रहेंगे? या फिर अब समय आ गया है कि हम इन कुरीतियों के खिलाफ सख्त कदम उठाएं और समाज को जागरूक करें? क्योंकि अगर अब भी नहीं चेते, तो कल कोई और मासूम इस हैवानियत का शिकार बनेगा!