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Wednesday, April 16   10:40:42

तहव्वुर राणा की वापसी से 26/11 की उस कहानी का खुलासा, जिसे अब तक दुनिया से छुपाया गया था…..ताज पर हमला सिर्फ ट्रेलर था

 जब एक दोस्ती ने जन्म दिया मौत की योजना को…

26 नवंबर 2008… वो तारीख जिसे भारत कभी नहीं भूल सकता। जब दस आतंकवादियों ने मुंबई पर कहर बरपाया, जिसमें 166 लोग मारे गए और सैकड़ों जख्मी हुए। लेकिन इस हमले की शुरुआत भारत में नहीं, बल्कि अमेरिका के शिकागो में हुई थी।

यहां हुई एक मीटिंग में आतंक की रूपरेखा तय की गई, एक 3D प्रजेंटेशन दिया गया, और साजिश को अंजाम तक पहुंचाने की रणनीति बनाई गई। इस मीटिंग में दो नाम खास थे: डेविड कोलमैन हेडली और तहव्वुर हुसैन राणा।

हेडली और राणा: दोस्ती जो आतंक में बदल गई

डेविड हेडली और तहव्वुर राणा की मुलाकात पाकिस्तान के एक आर्मी स्कूल में हुई थी। दोनों में गहरी दोस्ती थी। पढ़ाई के बाद राणा ने पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर के तौर पर काम किया और बाद में कनाडा की नागरिकता लेकर अमेरिका जा बसा। वहीं हेडली अमेरिका में ड्रग तस्करी में लिप्त हो गया।

जब हेडली 1997 में हेरोइन तस्करी के मामले में गिरफ्तार हुआ, तो राणा ने ही उसे जमानत दिलाई और अपने घर को बंधक रखा। यही वह मोड़ था, जहां उनकी दोस्ती आतंक की साझेदारी में बदलने लगी।

 3D प्रजेंटेशन से ताज होटल तक: कैसे बनी मुंबई हमले की योजना?

शिकागो में 2008 में हुई एक मीटिंग में डेविड हेडली ने 3D प्रजेंटेशन के माध्यम से बताया कि किस तरह आतंकवादी समुद्री रास्ते से भारत पहुंचेंगे, ताज होटल में घुसेंगे, और चार दिनों तक मुंबई को बंधक बना लेंगे।

जब हेडली ने प्रजेंटेशन दिया तो राणा जोर-जोर से हंसने लगा। उस समय हेडली ने कहा – “ये सब बहुत भयानक होने वाला है।”

इस मीटिंग के बाद हेडली ने पाकिस्तान जाकर लश्कर के आतंकियों से मुलाकात की, उन्हें मुंबई के लोकेशन की जानकारी दी और GPS डिवाइस सौंपा जिसमें सभी प्रमुख टारगेट्स की जानकारी थी।

 सिर्फ मुंबई नहीं, राणा-हेडली की नजर थी भारत के अन्य शहरों पर भी

मुंबई हमला सिर्फ एक पड़ाव था। अमेरिकी कोर्ट के दस्तावेजों के अनुसार, राणा और हेडली की अगली योजना थी:

  • दिल्ली: नेशनल डिफेंस कॉलेज और चाबड़ हाउस

  • राजस्थान: पुष्कर

  • गोवा: विदेशी सैलानियों को टारगेट करना

दिल्ली का नेशनल डिफेंस कॉलेज, जहां भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी पढ़ते हैं, उनके निशाने पर था। राणा ने हेडली से कहा था:

“इतने अफसर मारने हैं, जितने जंग में भी नहीं मरे होंगे।”

 एक गलती, जिसने खोली साजिश की परतें

जुलाई 2009 में हेडली ने राणा को एक कोडवर्ड वाला ईमेल भेजा, जिसमें मुंबई हमले से जुड़ी जानकारी थी। राणा को ईमेल समझ नहीं आया, तो हेडली ने उसे फोन करके समझाया।

यही कॉल FBI ने रिकॉर्ड कर ली।

कुछ ही दिनों बाद, 3 अक्टूबर 2009 को हेडली को गिरफ्तार किया गया, और फिर 18 अक्टूबर को तहव्वुर राणा भी पकड़ा गया।

 हेडली का कबूलनामा: भारत में कैसे हुई साजिशों की तैयारी?

FBI के सामने हेडली ने कबूल किया:

  • उसने पाकिस्तान में लश्कर से ट्रेनिंग ली थी।

  • हेडली ने कानूनी रूप से अपना नाम बदलकर डेविड कोलमैन हेडली रख लिया था, ताकि वो अमेरिका और भारत की नजरों से बच सके।

  • उसने भारत में इमिग्रेशन सेंटर खोलने के लिए तहव्वुर राणा की मदद ली।

  • भारत आने के लिए राणा ने ही फर्जी दस्तावेज बनवाकर बिजनेस वीजा दिलवाया।

  • मुंबई में हेडली ने होटल ताज, ओबेरॉय, चाबड़ हाउस, नरीमन हाउस, और अन्य जगहों की रेकी की और वीडियो बनाए।

 कैसे हुई मुंबई में रेकी?

2006 से लेकर 2008 तक हेडली ने कई बार मुंबई की यात्रा की। इस दौरान उसने:

  • समुद्री रास्तों की रेकी की,

  • वीडियो बनाए,

  • GPS लोकेशन रिकॉर्ड की,

  • और लश्कर-ए-तैयबा को सौंप दी।

उसके द्वारा बनाए गए वीडियो का इस्तेमाल 26/11 के हमले में किया गया।

 26/11 के बाद: क्या बदला?

मुंबई हमले के तुरंत बाद डेविड हेडली अमेरिका लौट गया। 7 सितंबर 2009 को राणा को फोन कर बताया कि उसने जो वीडियो बनाए थे, वही इस्तेमाल हुए। इस पर राणा ने कहा –

“भारत के लोग इसी के हकदार हैं।”

 दुबई में राणा और लश्कर की मीटिंग

मुंबई हमले के बाद राणा भारत आने वाला था। इससे पहले हेडली ने उसकी दुबई में लश्कर के हैंडलर से मुलाकात करवाई। हैंडलर ने राणा को भारत न जाने की सलाह दी।

 भारत में राणा की वापसी: क्या हो सकती है उम्मीद?

2025 में तहव्वुर राणा को भारत डिपोर्ट किया गया। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी दुबे के अनुसार:

“भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि के अनुसार, भारत राणा को उम्रकैद या फांसी की सजा दे सकता है।”

गृह मंत्रालय के पूर्व अधिकारी आरवीएस मणि का कहना है कि राणा से पूछताछ से:

  • हेडली को भारत में मदद देने वाले भारतीयों का खुलासा हो सकता है।

  • बॉलीवुड से जुड़े कुछ नाम सामने आ सकते हैं।

  • ताज होटल के अंदरूनी हिस्सों की जानकारी देने वालों की पहचान हो सकती है।

  • स्लीपर सेल और स्थानीय नेटवर्क का भंडाफोड़ हो सकता है।

 क्या न्याय मिलेगा?

तहव्वुर राणा की भारत वापसी सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं है, यह भारतीय न्याय व्यवस्था की अग्निपरीक्षा है। इस केस में एक-एक परत, एक-एक ईमेल, और एक-एक कॉल भारत की सुरक्षा नीति, विदेश नीति और इंटेलिजेंस नेटवर्क पर गहरे सवाल खड़े करती है।

अब जब सच्चाई सामने लाने का मौका है, तो यह जरूरी है कि सिर्फ राणा नहीं, बल्कि उस पूरे नेटवर्क को बेनकाब किया जाए, जिसने भारत को खून से रंगने की साजिश रची थी।