CATEGORIES

January 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  
Sunday, January 19   3:04:17

दशहरे की मिठास: जलेबी-फाफड़ा का जादुई संगम और इसकी अनकही कहानी!

दशहरा, जिसे विजय दशमी भी कहा जाता है, अच्छाई की बुराई पर जीत का पर्व है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया और माता सीता को मुक्त किया। इस महापर्व की रौनक में कुछ खास चीजें शामिल होती हैं, जिनमें से एक है फाफड़ा-जलेबी का अनोखा संगम। लेकिन आपने कभी सोचा है कि इस दिन फाफड़ा और जलेबी ही क्यों खाई जाती है? आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी।

परंपरा और मान्यता

नवरात्रि के नौ दिन के उपवास के बाद, दशहरे पर लोग अपने उपवास को तोड़ने के लिए कुछ खास खाने की परंपरा का पालन करते हैं। यह मान्यता है कि उपवास के बाद भोजन में चने के आटे से बनी चीजें होनी चाहिए। गुजरात में फाफड़ा, जो चने के आटे से बना एक लोकप्रिय स्नैक है, इस दिन हर घर में बनता है। जलेबी, जो इस मिष्ठान का साथ देती है, का एक और कारण है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम को जलेबी बेहद पसंद थी, इसलिए इस दिन इसे खास तौर पर बनाया जाता है।

जलेबी का औषधीय महत्व

दशहरे पर जलेबी का सेवन केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व ही नहीं रखता, बल्कि इसका एक औषधीय पक्ष भी है। इस समय मौसम में बदलाव होता है, जिससे सिरदर्द और माइग्रेन की समस्या बढ़ सकती है। गर्म जलेबी खाने से माइग्रेन के हमले को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इसमें पाए जाने वाले तत्व, जैसे टायरामाइन, सेरोटोनिन के स्तर को नियंत्रित करते हैं, जो माइग्रेन के दौरान बढ़ता है।

फाफड़ा का महत्व

दूसरी ओर, फाफड़ा का सेवन नवरात्रि के उपवास का समाप्ति बिंदु होता है। इसे चने के आटे से बनाया जाता है, जो हल्का और पौष्टिक होता है। इसके साथ जलेबी खाने से न केवल ऊर्जा मिलती है, बल्कि यह त्योहार की मिठास को भी बढ़ाता है।

सांस्कृतिक उत्सव

दशहरा का पर्व केवल खाने-पीने तक सीमित नहीं है। यह हमें अच्छे और बुरे के बीच के भेद को समझाता है। इस दिन रावण के पुतले को जलाने की परंपरा के साथ-साथ मिठाइयों का आदान-प्रदान भी होता है, जिससे आपसी प्रेम और भाईचारे की भावना प्रगाढ़ होती है।

इस प्रकार, फाफड़ा-जलेबी का यह संगम न केवल एक स्वादिष्ट नाश्ता है, बल्कि एक गहरी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा का प्रतीक भी है। इस दिन जलेबी का मीठा स्वाद और फाफड़े का कुरकुरापन हमें याद दिलाता है कि अच्छे कर्मों का फल हमेशा मीठा होता है।

दशहरे की मिठास का यह अनोखा संगम हमें न केवल हमारे इतिहास और संस्कृति से जोड़ता है, बल्कि एक नई ऊर्जा और उमंग भी प्रदान करता है। तो इस दशहरे, फाफड़ा-जलेबी का आनंद लें और इस त्योहार की खुशियों को मनाएं!