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Dr. Mitul Trivedi

चंद्रयान-3 की डिजाइन के वैज्ञानिक और उनके शिक्षक के बीच की ये बातें हमेशा रहेगी याद

चंद्रयान-3 क सफल सॉफ्ट लैंडिंग आज विश्व का इतिहास बन गया है। इस ऐतिहासिक घटना को अंजाम देने वाले वैज्ञानिकों में सूरत के वैज्ञानिक डॉक्टर मितुल त्रिवेदी का योगदान यादगर रहेगा। इस सफलता के बाद उनके स्कूल के शिक्षक से हुई उनकी बातचीत गुरु शिष्य परम्परा का श्रेष्ठ उदाहरण है।

चंद्रयान-3 के चंद्र के दक्षिण ध्रुव पर सफल लैंडिंग ने विश्व में भारत को सर्व श्रेष्ठ बना दिया है। ISRO के साइंटिस्ट्स ने मिलकर इस चुनौती को सफल बनाया। यह सफलता देशवासियों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं है। इस चंद्रयान की डिजाइन बनाने वाले सूरत के डॉक्टर मितुल त्रिवेदी और उनके शिक्षक की टेलीफोनिक बातचीत सुननेवाले को भारतीय संस्कृति की ऊंचाई के दर्शन होंगे। इसे सुनकर कोई भी नि:शब्द हो जाएगा। डॉक्टर मितुल त्रिवेदी ने सूरत की एक्सपेरिमेंटल स्कूल और नर्मद यूनिवर्सिटी में शिक्षा प्राप्त की। चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद 15 मिनट में ही डॉक्टर मितुल त्रिवेदी की उनके शिक्षक अर्जुन पटेल से हुई टेलीफोनिक बातचीत यहां प्रस्तुत है।

देखें वीडियो

शिक्षक : congratulations
डॉक्टर मितुल त्रिवेदी : हां सर आपका मैसेज देखा मुझे बहुत ही खुशी हुई है।
शिक्षक: अरे बेटा ! तुम वही हो न!
डॉक्टर मितुल त्रिवेदी: हां मैं यही हूं।
शिक्षक: अरे मेरे बेटे!veri nice. मेरा तो प्रेशर बढ़ गया। देखूं , क्या होगा अंतिम पलों में। फिर मितुल मेरा बेटा वही होगा।
डॉक्टर मितुल त्रिवेदी: हां यही था । मैंने अभी आपका मैसेज देखा, इसलिए मुझे हुआ कि चलो मैं आपको फोन करूं। घर पर फोन किया, परीख सर को फोन किया, और अब आपको फोन कर रहा हूं । इतनी ज्यादा खुशी हो रही है। आपके गणित के सूत्र, हरेक “एक “मुझे याद है। वही “एक” मुझे यहां पर बहुत ही काम लगा।
शिक्षक: ओ बेटे !मेरे बेटे! मैं तुझे कितना आज तक याद करता रहा ।आज मुझे तू ही दिख रहा है ,तू ही दिख रहा है। मैंने मेरी मिसिस से बात की कि मेरा बेटा मितुल वही है। तो उन्होंने कहा कि एक दिन स्कूल में आया था वह लड़का! मेरी आंख से खुशी के आंसू बह निकले, बेटे।
डॉक्टर मितुल त्रिवेदी: मैं भी कुछ नहीं बोल पा रहा हूं ,सर।
शिक्षक: तू मेरा बेटा है।
तेरी सफलता ने आज हिंदुस्तान को दुनिया के नक्शे पर रख दिया है।

डॉक्टर मितुल त्रिवेदी: सर गर्व की बात तो यह है कि, इतने सालों से मेहनत कर रहा था। सर! यह डिजाइन मेरी थी।
शिक्षक: oh my God!
डॉक्टर मितुल त्रिवेदी: अब मैं दुनिया के सामने आऊंगा ।सालों से इसके लिए कोशिश कर रहा था।
शिक्षक: ओ बेटे !मेरे बेटे! मुझे कितना गर्व हो रहा है कि, मेरा बेटा कहां से कहां पहुंच गया ! तू चांद पर है ,मुझे ऐसा दिखाई देता है।
डॉक्टर मितुल त्रिवेदी: आप सबके आशीर्वाद हैं, और आप सब की मेहनत रंग लाई है ।जिसका मुझे आनंद है।
शिक्षक: मेहनत तेरी है। हमें तो सिर्फ अंगुलीनिर्देश का पुण्य।
डॉक्टर मितुल त्रिवेदी: आपने जिस तरह अंगुलीनिर्देश किया ,वह मुझे बराबर याद है।
शिक्षक: ओ मेरे बेटे मितुल ! तुमसे कहने के लिए मेरे पास शब्द नही है।हिंदुस्तान को कहां से कहां पहुंचा दिया।
डॉक्टर मितुल त्रिवेदी: आज मुझे बहुत ही आनंद हो रहा है बहुत ही आनंद हो रहा है।
शिक्षक: मुझे यहां इतना आनंद हो रहा है तो, तेरी तो बात ही क्या होगी वहां,मेरे बेटे ! सवाल ही नहीं है।
डॉक्टर मितुल त्रिवेदी: उसमें भी पिछली बार फेलियर गया था ।इसलिए इन लोगों ने मुझे इनवाइट किया ।इसलिए मैंने फिर तैयार कर दिया। आपने अगर इसके अंदर शांति से देखा होगा तो लैंडिंग किया तब हेलीकॉप्टर की तरह होता है।
शिक्षक: देखा मैंने, देखा देखा।
डॉक्टर मितुल त्रिवेदी: उसके अंदर धूल उड़ती है।
शिक्षक: अच्छा नीचे नीचे हां हां
डॉक्टर मितुल त्रिवेदी: इसमें बहुत ही कम धूल उड़ी ।पता ही नहीं चला की धूल उड़ रही है ।यही मार खा जाते हैं । हमने इसी का उपयोग किया, जो दुनिया की कमजोरी थी ।हमने इस कमजोरी का उपयोग किया है ,सर! और जिसमें हमें सफलता मिली है।
शिक्षक: वेरी नाइस।आखिर में वह उतरता है। कितना एक्साइटेड था! मुझे तू ही दिखता था। मेरा मितुल वही है, मितुल।
डॉक्टर मितुल त्रिवेदी: मैं सूरत आऊंगा तब आपसे मिलने जरूर आऊंगा।
शिक्षक: तूने बहुत ही सफलता पाई है ।बहुत आगे बढ़ो ,मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है ।ऐसी सफलता के लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं है। मैं तुझे किस तरह से अभिनंदन दूं?
डॉक्टर मितुल त्रिवेदी: बस मुझे पांव छूने देना, वही मेरे लिए सबसे बड़ी भेंट होगी।
शिक्षक: हां बेटा !मेरा आशीर्वाद हमेशा है, और रहेगा।
डॉक्टर मितुल त्रिवेदी: बहुत ही जल्द मिलते है।

यह बातचीत शिक्षक और शिष्य के स्नेह की अनूठी मिसाल है। हमारी सफलता की खुशी जितनी शिक्षक होती होगी शायद उतनी किसी को भी नही होती होगी।