गणेशोत्सव की तैयारियों के बीच पंडाल के कपड़े के व्यापार में तेजी आई है। गणपति उत्सव की जोरदार तैयारी चल रही है।सभी युवक मंडल अपने पंडाल को श्रेष्ठ बनाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। प्रतिमाओं के ऑर्डर्स दिए जा चुके हैं, और पंडाल के लिए भी तैयारी चल रही है। बाकी सुशोभन के सामने गणेश उत्सव के पंडाल के लिए सबसे अधिक कपड़े की जरूरत पड़ती है।
यह साल सूरत टेक्सटाइल के लिए खुशियां लेकर आया है। गुजरात समेत महाराष्ट्र में भव्य रूप से गणपति उत्सव का त्यौहार मनाया जाता है। जिसके लिए पंडाल के कपड़े का पिछले दो महीने में 500 करोड़ का व्यापार हुआ है। सूरत से लाखों मीटर कपड़ा महाराष्ट्र, गुजरात समेत अलग-अलग शहरों में खरीदा गया है। सबसे अधिक 25 से 30 रुपए प्रति मीटर वाला लायक्रा कपड़ा महाराष्ट्र में पहुंचा है।
कोरोना की वजह से पंडाल के कपड़े का व्यापार 300 करोड़ था, जो बढ़कर 500 करोड़ तक पहुंच गया है। पंडाल के कपड़े के व्यापार के साथ 250 से 300 के करीब व्यापारी जुड़े हुए हैं। कपड़े की खरीदारी अगस्त महीने से ही शुरू हो जाती है। अलग-अलग साइज के गणपति पंडाल के लिए अलग-अलग साइज के कपड़े की मांग रहती है।
सामान्य कपड़ों के मुकाबले एंब्रॉयडरी वाले लाइक्रा कपड़े का दाम 60 से ₹70 प्रति मीटर रहता है, जिसे युवक मंडल अपने बजट के अनुसार खरीदते हैं। लाइक्रा कपड़े के साथ-साथ रोटो और ताइवान कपड़े की भी डिमांड रहती है।कपड़े की सबसे अधिक बिक्री महाराष्ट्र में होती है। उसके बाद गुजरात के वापी, वलसाड, वडोदरा समेत अन्य शहरों के नाम आते है।
पिछले दो सालों से पंडाल के कपड़े के व्यापारियों ने मार्केटिंग का स्टाइल बदला है। वह अपने अलग-अलग प्रकार के कपड़े और एंब्रॉयडरी किए हुए कपड़े से बने पंडाल अलग-अलग साइज में तैयार करके डिस्प्ले करते हैं ।जिसमें 4 बाय 4, और 5 बाय 6 साइज के पंडाल ज्यादा बनाए जाते हैं।
व्यापारियों का मानना है कि ज्यादातर गलियों, सोसाइटियों एवं अपार्टमेंट में इसी कद के गणपति पंडाल बनाए जाते हैं। इसीलिए उन्होंने यही साइज डिस्प्ले के लिए रखा है। इस वर्ष भगवान श्री गणेश जी सूरत के कपड़ा टेक्सटाइल को जरूर फले है।
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