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सूरत के ज्वैलर्स ने 4.7 कैरेट के हीरे पर उकेरा डोनाल्ड ट्रंप का चेहरा

डोनाल्ड ट्रंप के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने पर, सूरत के ज्वैलर्स ने एक अनोखा और अद्वितीय 4.7 कैरेट का लैबग्रोन डायमंड तैयार किया , जिसमें ट्रंप के चेहरे की सटीक प्रतिकृति उकेरी गई । यह कृतज्ञता और सम्मान का प्रतीक था, जिसे ट्रंप के शपथग्रहण के अवसर पर उन्हें भेंट किया गया । इस खास हीरे को बनाने का काम सूरत के पांच कुशल कारीगरों की टीम ने किया , जिन्होंने करीब दो महीने की मेहनत से इसे तैयार किया था।

हीरे की विशेषता

हीरे को इस तरह से तराशा गया है कि जब इसे साइड से देखा जाता है, तो वह ट्रंप के चेहरे की सटीक आकृति प्रस्तुत करता है। यह विशेष रूप से लैबग्रोन डायमंड (जो प्राकृतिक हीरे के समान होता है, लेकिन प्रयोगशाला में तैयार किया जाता है) पर उकेरी गई छवि तकनीकी दृष्टिकोण से एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। इसे बनाने में काफी ध्यान और सटीकता की आवश्यकता थी, जिसके लिए कारीगरों ने दिन-रात काम किया और लगभग 60 दिनों में इस अद्वितीय हीरे को तैयार किया।

हीरे की कीमत

इस विशेष 4.7 कैरेट के लैबग्रोन डायमंड की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगभग 10,000 अमेरिकी डॉलर बताई जा रही है, जबकि भारतीय बाजार में इसकी कीमत करीब 8.5 लाख रुपये है। यह हीरा न केवल सूरत के ज्वैलर्स के हुनर का प्रमाण है, बल्कि भारतीय कला और तकनीक की एक शानदार मिसाल भी प्रस्तुत करता है।

सूरत के ज्वैलर्स की उपलब्धि

हीरे को तैयार करने वाले गुजरात के हीरा व्यापारी मुकेश पटेल और स्मित पटेल की कंपनी ने इसे संभव बनाया है। यह पहली बार नहीं है जब इन ज्वैलर्स ने विशिष्ट उपहार तैयार किया हो। इससे पहले भी इस कंपनी ने अमेरिकी प्रथम महिला को एक लैबग्रोन डायमंड भेंट किया था, जिसे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सौंपा था।

यह हीरा सिर्फ एक भव्य उपहार नहीं, बल्कि यह सूरत और भारत की कला, तकनीकी कौशल और कड़ी मेहनत का प्रतीक है। जब हम इस तरह के अनूठे कृत्यों को देखते हैं, तो हमें समझ में आता है कि भारतीय कारीगर अपनी मेहनत और नवाचार के जरिए दुनिया भर में पहचान बना रहे हैं। यह न केवल सूरत के ज्वैलर्स के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह भारतीय कला और संस्कृति को भी वैश्विक मंच पर और मजबूती से स्थापित करता है। ऐसे उपहार न केवल भारत की तकनीकी उत्कृष्टता को दर्शाते हैं, बल्कि भारत और अमेरिका के रिश्तों को भी मजबूत करते हैं।

इस पूरे घटनाक्रम से यह सिद्ध होता है कि भारत की क्रिएटिविटी और कौशल किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए सक्षम है, और इस तरह के कृत्य भविष्य में और भी कई अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने में मदद करेंगे।