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महाकुंभ भगदड़ पर गरमाई सियासत: विपक्ष का वार, सुप्रीम कोर्ट ने की याचिका खारिज

प्रयागराज महाकुंभ 2025 में 29 जनवरी को हुई भगदड़ अब सियासी मुद्दा बन गई है। विपक्ष लगातार इस घटना को लेकर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को घेर रहा है। 1 फरवरी को जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में बजट पेश करने के लिए खड़ी हुईं, तब विपक्ष ने यह मुद्दा उठाया और सांकेतिक वाकआउट भी किया। अब कांग्रेस ने इस मामले को और तेज़ करने के लिए बड़ा कदम उठाया है।

कांग्रेस का नया दांव, सपा दे सकती है साथ

कांग्रेस ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के लिए इलाहाबाद से सांसद उज्जवल रमण सिंह को अपने वक्ताओं में शामिल किया है। सूत्रों का कहना है कि यह फैसला महाकुंभ भगदड़ को लेकर सरकार को घेरने की रणनीति का हिस्सा है। दिलचस्प बात यह है कि उज्जवल रमण सिंह समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता रेवती रमण सिंह के बेटे हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि सपा भी इस मुद्दे पर कांग्रेस का समर्थन कर सकती है।

सपा ने सरकार पर साधा निशाना

समाजवादी पार्टी पहले ही इस मुद्दे को लेकर हमलावर है। सपा सांसद रामगोपाल यादव ने बीजेपी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि कुंभ हादसे में मारे गए लोगों की सूची अब तक जारी नहीं की गई और न ही संसद में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। सपा का आरोप है कि सरकार इस गंभीर घटना को दबाने की कोशिश कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की, हाई कोर्ट में सुनवाई जारी

इस बीच, भगदड़ को लेकर दाखिल एक याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि घटना चिंताजनक है, लेकिन इस पर इलाहाबाद हाई कोर्ट पहले से ही सुनवाई कर रहा है और राज्य सरकार ने भी न्यायिक जांच आयोग बना दिया है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।

सुरक्षा चूक या लापरवाही?

महाकुंभ जैसा बड़ा आयोजन, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु शामिल होते हैं, वहां भगदड़ जैसी घटना होना गंभीर प्रशासनिक चूक को दर्शाता है। हर बार सरकार बड़े-बड़े सुरक्षा इंतज़ामों का दावा करती है, लेकिन हादसे फिर भी हो जाते हैं। विपक्ष इसे मुद्दा बना रहा है, और सरकार इसे दबाने की कोशिश कर रही है। पर सवाल यह है कि क्या इस घटना से सबक लिया जाएगा? क्या भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे? जनता के जान की कीमत सियासी बहसों से ज्यादा होनी चाहिए।