भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स अपने अंतरिक्ष मिशन को पूरा कर पृथ्वी पर लौट रही हैं। उनके साथ अंतरिक्ष यात्री बुच विलमोर भी हैं। स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के जरिए दोनों अंतरिक्ष यात्री 17 घंटे की यात्रा के बाद पृथ्वी पर उतरेंगे। भारतीय समयानुसार 19 मार्च को तड़के 3:27 बजे यह कैप्सूल फ्लोरिडा के पास समुद्र में लैंड करेगा।
मिशन की प्रमुख घटनाएं
- बोर्डिंग: 18 मार्च को सुबह 8:15 बजे, सुनीता विलियम्स और अन्य अंतरिक्ष यात्री ड्रैगन कैप्सूल में सवार हुए।
- डिपार्चर: 18 मार्च को सुबह 10:35 बजे, अंतरिक्ष यान ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) छोड़ा और पृथ्वी की ओर यात्रा शुरू की।
- लैंडिंग: 19 मार्च को सुबह 3:27 बजे, कैप्सूल पैराशूट की मदद से फ्लोरिडा के पास समुद्र में लैंड करेगा।
कैप्सूल के उतरने के तुरंत बाद एक रिकवरी टीम उसे समुद्र से बाहर निकालेगी और अंतरिक्ष यात्रियों को बाहर लाया जाएगा। इसके बाद उन्हें ह्यूस्टन के जॉनसन स्पेस सेंटर भेजा जाएगा।
अंतरिक्ष में जीवन कैसा होता है?
अंतरिक्ष में ज़िंदगी पृथ्वी से बिल्कुल अलग होती है। यहां के कुछ अनोखे तथ्य हैं:
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45 मिनट का दिन, 45 मिनट की रात:
- ISS हर 90 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा कर लेता है।
- इसका मतलब यह हुआ कि अंतरिक्ष यात्री हर 45 मिनट में सूर्योदय और हर 45 मिनट में सूर्यास्त देखते हैं।
- इस तरह, 24 घंटे में 16 बार सूर्योदय और 16 बार सूर्यास्त होता है।
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ISS की दूरी और गति:
- ISS पृथ्वी से 408 किमी दूर स्थित है और यह 28,163 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है।
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स्पेस स्टेशन का आकार:
- इसका आकार दो बोइंग 747 विमानों जितना बड़ा है।
- इसमें 5 बेडरूम वाले घर के बराबर जगह होती है।
- इस पर 6 से 8 अंतरिक्ष यात्री एक साथ रह सकते हैं।
ISS का इतिहास और निर्माण
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शुरुआत:
- नवंबर 1998 में, ISS का पहला हिस्सा लॉन्च किया गया था। यह एक रूसी मॉड्यूल था जिसे ‘ज़ार्या’ नाम दिया गया था।
- इसके दो हफ्ते बाद, अमेरिकी ‘यूनिटी नोड’ को जोड़ा गया।
- अगले दो वर्षों में और हिस्से जोड़े गए और 2 नवंबर 2000 से ISS पर इंसानों का रहना शुरू हुआ।
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पूरा निर्माण:
- NASA और उसके अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों ने 2011 में ISS का निर्माण पूरा किया।
सुनीता विलियम्स का योगदान
सुनीता विलियम्स का अंतरिक्ष में शानदार करियर रहा है।
- वह अब तक दो अंतरिक्ष मिशनों पर जा चुकी हैं और अंतरिक्ष में 322 दिन बिता चुकी हैं।
- उन्होंने अंतरिक्ष में 7 बार स्पेसवॉक किया है।
- वह पहली भारतीय मूल की महिला हैं, जिन्होंने अंतरिक्ष में इतनी लंबी अवधि बिताई है।
इस मिशन के बाद, सुनीता विलियम्स एक बार फिर अंतरिक्ष में अपने योगदान की एक नई कहानी लिख चुकी हैं। उनकी वापसी का सभी को बेसब्री से इंतजार है!

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